महाराष्ट्र में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई जिलों में हालात बाढ़ जैसे बन गए हैं। विशेषकर मराठवाड़ा क्षेत्र में बारिश का असर सबसे ज्यादा देखा गया है, जहां नदियां और नाले उफान पर हैं। प्रशासन ने हालात को देखते हुए राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक, मराठवाड़ा के कई गांवों में पानी भर गया, जिससे हजारों लोगों को अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा। अब तक 11 हजार से अधिक लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। वहीं, धाराशिव जिले में भारी बारिश के चलते दो लोगों की मौत की खबर सामने आई है।
बारिश के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों को भी बड़ा नुकसान हुआ है। सोयाबीन, कपास और अन्य खरीफ फसलों के जलमग्न हो जाने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। कई जगहों पर बिजली आपूर्ति बाधित हुई है, जिससे आम लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है।
मौसम विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि आने वाले 24 घंटे राज्य के कई हिस्सों में भारी से अति भारी बारिश होने की संभावना है। विशेषकर मराठवाड़ा, विदर्भ और पश्चिम महाराष्ट्र के जिलों को अलर्ट पर रखा गया है।
इस बीच, स्थानीय प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में स्कूल-कॉलेज बंद करने के आदेश दिए हैं। राहत शिविरों में लोगों को भोजन और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (NDRF) और स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (SDRF) की टीमें लगातार बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण महाराष्ट्र जैसे राज्यों में मानसून का स्वरूप बदल रहा है। कभी सूखा तो कभी अचानक मूसलाधार बारिश, दोनों ही स्थितियां आम लोगों और किसानों के लिए चुनौती बनती जा रही हैं।
सरकार ने प्रभावित परिवारों को हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। मुख्यमंत्री ने स्थिति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को राहत कार्य तेज करने और प्रभावितों को त्वरित सहायता देने के निर्देश दिए हैं।
महाराष्ट्र में भारी बारिश और बाढ़ जैसे हालात ने एक बार फिर आपदा प्रबंधन की गंभीरता को सामने ला दिया है। मराठवाड़ा समेत कई जिलों में लोगों की सुरक्षा और राहत कार्य प्राथमिकता बन गए हैं। फिलहाल, प्रशासन और बचाव दल हालात पर काबू पाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मौसम विभाग की चेतावनी ने चिंता और बढ़ा दी है।