बिहार की चुनावी तैयारियों के बीच मतदाता सूची की गड़बड़ियां एक बार फिर सुर्खियों में हैं। गया जिले में जारी स्पेशल समरी रिवीजन (SIR) 2025 की फाइनल वोटर लिस्ट ने कई गंभीर अनियमितताओं को उजागर किया है।
स्थानीय निवासियों की शिकायत है कि जीवित लोगों को मृत दिखाकर उनके नाम सूची से काट दिये गये हैं। वहीं, कई जगहों पर पूरे-पूरे परिवारों को मतदाता सूची से हटा दिया गया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गया शहर के एक ही घर में 947 वोटरों का नाम दर्ज पाया गया। यह मामला सामने आते ही जिला प्रशासन और चुनाव आयोग पर सवाल खड़े हो गए हैं।
गया के आम लोगों ने आरोप लगाया कि सूची में गड़बड़ियों की वजह से वास्तविक मतदाताओं का नाम गायब हो गया है, जबकि फर्जी प्रविष्टियां धड़ल्ले से शामिल की गई हैं। चुनावी पारदर्शिता और लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन को देखते हुए लोग सड़कों पर विरोध भी जता रहे हैं।
चुनाव आयोग ने हालांकि कहा है कि सभी शिकायतों की जांच की जाएगी और जिन नामों को गलत तरीके से हटाया गया है, उन्हें दोबारा जोड़ा जाएगा। लेकिन विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार और चुनाव आयोग दोनों पर सवाल खड़े किए हैं। विपक्ष का आरोप है कि यह गड़बड़ी सुनियोजित है और इसका सीधा असर मतदान प्रक्रिया पर पड़ेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि मतदाता सूची में पारदर्शिता न होना लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। यदि सही मतदाता वोट से वंचित रह गए तो चुनाव की निष्पक्षता संदिग्ध हो जाएगी।
गया का मामला पूरे राज्य में चिंता का विषय बन गया है। नागरिक संगठनों ने मांग की है कि जल्द से जल्द स्वतंत्र जांच कराई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
फिलहाल, मतदाता सूची की गड़बड़ी ने बिहार की चुनावी साख को सवालों के घेरे में ला दिया है। अब देखना यह होगा कि चुनाव आयोग इस संवेदनशील मामले में कितनी तेजी से कदम उठाता है और मतदाताओं का भरोसा बहाल कर पाता है या नहीं।