गाजा संकट पर लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध के बीच एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। हमास ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए घोषणा की है कि वह अपने कब्जे में रखे सभी इजरायली बंधकों को रिहा करेगा। साथ ही, उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गाजा पर जारी बमबारी को तत्काल रोकने की अपील भी की है।
ट्रंप की पहल
मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को देखते हुए ट्रंप ने हाल ही में एक शांति प्रस्ताव रखा था। इसमें उन्होंने हमास से आग्रह किया था कि मानवीय आधार पर सभी बंधकों को रिहा किया जाए और इजरायल से कहा था कि वह गाजा में बमबारी और सैन्य कार्रवाई को रोक दे। आश्चर्यजनक रूप से हमास ने इस प्रस्ताव पर सहमति जताई है, जिसे कई विशेषज्ञ मध्य पूर्व की शांति प्रक्रिया के लिए सकारात्मक संकेत मान रहे हैं।
बंधकों की रिहाई
हमास ने बयान जारी कर कहा कि अंतरराष्ट्रीय दबाव और मानवीय संकट की भयावह स्थिति को देखते हुए उसने यह फैसला लिया है। संगठन के मुताबिक, रिहाई की प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से की जाएगी और इसमें अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की निगरानी रहेगी। माना जा रहा है कि इस कदम से गाजा में हिंसा की तीव्रता कम हो सकती है और युद्धविराम की दिशा में रास्ता खुल सकता है।
गाजा में मानवीय संकट
संयुक्त राष्ट्र और कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की रिपोर्ट्स के मुताबिक गाजा में हालात बेहद गंभीर हैं। लगातार बमबारी से हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं, अस्पताल दवाओं और बिजली की कमी से जूझ रहे हैं और नागरिकों को भोजन-पानी तक नहीं मिल पा रहा। हमास ने दावा किया है कि यदि इजरायल हमले रोकता है तो वह अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सहयोग से राहत कार्यों को गति देगा।
इजरायल की प्रतिक्रिया
इजरायल की ओर से अभी तक औपचारिक बयान जारी नहीं हुआ है, लेकिन सैन्य सूत्रों के हवाले से खबरें हैं कि सरकार प्रस्ताव पर विचार कर रही है। हालांकि इजरायल ने हमेशा कहा है कि हमास पर पूरी तरह काबू पाना और उसकी आतंकी गतिविधियों को रोकना उसके लिए प्राथमिकता है। ऐसे में देखना होगा कि वह बंधकों की रिहाई के बदले गाजा पर बमबारी रोकने को तैयार होता है या नहीं।
वैश्विक प्रतिक्रिया
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस घटनाक्रम का स्वागत किया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि यदि दोनों पक्ष ईमानदारी से प्रस्ताव को लागू करते हैं तो यह क्षेत्र में स्थायी शांति की दिशा में अहम कदम साबित हो सकता है। यूरोपीय संघ और अरब देशों ने भी इस पहल का समर्थन किया है।
हालांकि यह कदम शांति की ओर एक नई शुरुआत जैसा है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तभी कारगर होगा जब दोनों पक्ष आपसी विश्वास और संवाद को प्राथमिकता दें। गाजा की मानवीय स्थिति को देखते हुए दुनिया की निगाहें अब इजरायल की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।