मध्य पूर्व एक बार फिर तनाव की आग में झुलस रहा है। गाज़ा पट्टी में इज़रायल ने मंगलवार देर रात कई इलाकों पर हवाई हमले किए, जिसमें कई लोगों के मारे जाने और घायल होने की खबर है। ये हमले उस वक्त हुए जब मिस्र की राजधानी काहिरा में इज़रायल और हमास के बीच संघर्षविराम पर बातचीत जारी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह हमला चल रही वार्ता को और जटिल बना सकता है।
इज़रायली सेना ने दावा किया कि उसने गाज़ा के उत्तरी हिस्से में हमास के ठिकानों को निशाना बनाया है। सेना के अनुसार, ये हमले “आतंकी बुनियादी ढांचे” को खत्म करने के लिए किए गए हैं। वहीं, गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि बमबारी में महिलाओं और बच्चों सहित कई आम नागरिक हताहत हुए हैं। राहत एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि लगातार हो रही बमबारी से मानवीय संकट और गहराता जा रहा है।
काहिरा में चल रही वार्ता में मिस्र, कतर और संयुक्त राष्ट्र मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, वार्ता में अस्थायी संघर्षविराम और बंदी अदला-बदली पर चर्चा चल रही थी। लेकिन इज़रायल के ताजा हमले के बाद माहौल तनावपूर्ण हो गया है। हमास ने चेतावनी दी है कि अगर हवाई हमले जारी रहे, तो “गंभीर जवाबी कार्रवाई” की जाएगी।
गाज़ा में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। बिजली और ईंधन की भारी कमी के चलते अस्पतालों में संकट गहराता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, करीब 70 प्रतिशत नागरिक विस्थापन के शिकार हो चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है।
अमेरिका और यूरोपीय संघ ने भी हिंसा पर चिंता जताई है। वॉशिंगटन ने कहा है कि वह “कूटनीतिक माध्यमों से स्थायी शांति की कोशिशें” जारी रखेगा, लेकिन उसने इज़रायल के “आत्मरक्षा के अधिकार” को भी दोहराया। दूसरी ओर, अरब देशों ने इज़रायली कार्रवाई को “अनुचित और अमानवीय” बताते हुए इसकी निंदा की है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह संघर्ष केवल सैन्य नहीं, बल्कि राजनीतिक चुनौती भी है। एक तरफ इज़रायल अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने पर जोर दे रहा है, वहीं हमास अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में प्रभाव बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। इस बीच, आम नागरिक लगातार हिंसा की कीमत चुका रहे हैं।
पिछले एक वर्ष में गाज़ा और इज़रायल के बीच हिंसा के कई दौर हो चुके हैं, लेकिन इस बार स्थिति अधिक संवेदनशील है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय वार्ता के माध्यम से स्थायी समाधान की उम्मीद कर रहा था। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर दोनों पक्ष संयम नहीं बरतते, तो क्षेत्र एक बार फिर बड़े युद्ध की ओर बढ़ सकता है।
फिलहाल अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर काहिरा वार्ता पर टिकी है, जहां यह तय होगा कि क्या यह तनावपूर्ण माहौल शांति की ओर बढ़ेगा या एक और संघर्ष की शुरुआत करेगा।