अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी जल्द ही भारत की राजधानी नई दिल्ली के दौरे पर आने वाले हैं। उनका यह पांच दिवसीय दौरा भारत और तालिबान शासन के बीच संभावित कूटनीतिक संवाद का संकेत माना जा रहा है। मुत्ताकी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय अभी तक तालिबान सरकार को औपचारिक मान्यता देने को लेकर विभाजित है।
सूत्रों के अनुसार, मुत्ताकी भारतीय अधिकारियों से मानवीय सहायता, व्यापारिक संबंध, सुरक्षा सहयोग और राजनयिक मान्यता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। यह दौरा तालिबान शासन और भारत के बीच संबंधों को एक नए चरण में ले जा सकता है। बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान के साथ मानवीय सहायता और शिक्षा सहयोग को लेकर भी कई प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा।
भारत ने अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से काबुल स्थित अपना दूतावास बंद कर दिया था। हालांकि, पिछले वर्ष भारत ने सीमित स्तर पर वहां अपनी उपस्थिति फिर से शुरू की थी ताकि मानवीय सहायता कार्यक्रमों की निगरानी की जा सके। मुत्ताकी की यह यात्रा इसी प्रक्रिया का विस्तार मानी जा रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता दिए बिना “संपर्क और संवाद के मार्ग” खोलने की रणनीति अपना रहा है। यह कदम चीन, पाकिस्तान, ईरान और मध्य एशियाई देशों के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के उद्देश्य से भी जुड़ा माना जा रहा है।
भारत अब तक तालिबान सरकार के प्रति “वेट-एंड-वॉच पॉलिसी” पर कायम रहा है, लेकिन अफगानिस्तान की बदलती राजनीतिक स्थिति और क्षेत्रीय सुरक्षा समीकरणों को देखते हुए यह नीति लचीली होती दिखाई दे रही है। मुत्ताकी की यह यात्रा इस बात का संकेत है कि भारत दक्षिण एशिया में अपने कूटनीतिक हितों को नए सिरे से परिभाषित कर रहा है।
विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान में कहा कि भारत अफगान जनता के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह मुलाकात तालिबान शासन की मान्यता की दिशा में औपचारिक कदम है या नहीं।