मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से हुई बच्चों की मौत के मामले में प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं। राज्य सरकार ने दवा बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मा के फरार मालिकों पर इनाम घोषित कर दिया है। जांच एजेंसियां कंपनी के निदेशकों और अधिकारियों की तलाश में देशभर में छापेमारी कर रही हैं।
जानकारी के मुताबिक, इस सिरप से पीड़ित हुए कई बच्चों की मौत पिछले महीने हुई थी। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि कफ सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले रसायन की मौजूदगी थी, जो शरीर के गुर्दे और तंत्रिका तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इसी आधार पर राज्य सरकार ने कंपनी के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या सहित गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
छिंदवाड़ा जिला प्रशासन ने श्रीसन फार्मा की सभी उत्पादन इकाइयों को सील कर दिया है। वहीं, दवा नियंत्रक विभाग ने कंपनी के लाइसेंस को निलंबित कर पूरे राज्य में उसकी अन्य दवाओं के सैंपल जांच के लिए भेज दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने एक विशेष समिति गठित कर यह पता लगाने का निर्देश दिया है कि लाइसेंस प्रक्रिया में किन अधिकारियों की लापरवाही रही।
इस मामले ने केंद्र और राज्य स्तर पर फार्मा कंपनियों की गुणवत्ता जांच प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि बच्चों के उपयोग में आने वाली सिरप दवाओं की रैंडम टेस्टिंग की जाए और मानकों से बाहर पाए जाने वाले उत्पादों को तुरंत बाजार से हटाया जाए।
इस घटना से स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। मृतक बच्चों के परिजनों ने सरकार से सख्त कार्रवाई और उचित मुआवजे की मांग की है। प्रशासन ने पीड़ित परिवारों को तत्काल राहत राशि देने की घोषणा की है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह हादसा देश में दवा गुणवत्ता नियंत्रण की कमजोर कड़ी को उजागर करता है। फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) के अनुसार, देश में सैकड़ों छोटी फार्मा कंपनियां हैं जिन पर निगरानी के पर्याप्त तंत्र नहीं हैं।
सरकार अब इस मामले को उदाहरण बनाकर फार्मा सेक्टर में सख्त रेगुलेटरी सुधार लाने की तैयारी में है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों की पुनरावृत्ति न हो सके।