दिल्ली में सर्दी अभी पूरी तरह दस्तक नहीं दे पाई है, लेकिन प्रदूषण का कहर पहले ही राजधानी की हवा को जहरीला बनाने लगा है। तापमान में गिरावट के साथ हवा की रफ्तार धीमी पड़ने से प्रदूषक कण जमीन के करीब जमने लगे हैं। धुआं छोड़ते वाहन, सड़क पर उड़ती धूल और निर्माण स्थलों से उठता मलबा—इन सबने मिलकर दिल्ली-एनसीआर की फिजा को दमघोंटू बना दिया है।
हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ श्रेणी में
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार सुबह दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 245 के पार दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। आनंद विहार, द्वारका, पंजाबी बाग और आईटीओ जैसे इलाकों में स्थिति सबसे गंभीर रही। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर अगले कुछ दिनों में हवा की गति और कम हुई तो AQI ‘बहुत खराब’ श्रेणी में जा सकता है।
मुख्य वजहें: वाहन, निर्माण और पराली
पर्यावरणविदों के मुताबिक, दिल्ली के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं और सड़क पर उड़ती धूल है। साथ ही, हरियाणा और पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं ने भी प्रदूषण स्तर बढ़ाने में भूमिका निभाई है। इस मौसम में हवा की दिशा उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर बहती है, जिससे पराली का धुआं दिल्ली की ओर खिंच आता है।
सरकार ने कसे प्रदूषण पर शिकंजा
दिल्ली सरकार ने ‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान’ (GRAP) को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। इस तहत निर्माण कार्यों पर निगरानी, सड़कों की मशीनों से सफाई और पानी का छिड़काव बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, पुराने डीजल वाहनों पर कार्रवाई तेज करने और नागरिकों से निजी वाहनों का प्रयोग सीमित करने की अपील की गई है।
स्वास्थ्य पर असर और विशेषज्ञों की चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान प्रदूषण स्तर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों के लिए खतरनाक है। लगातार जहरीली हवा में रहने से फेफड़ों की कार्यक्षमता कम होती है और सांस की बीमारियां बढ़ सकती हैं।