राजस्थान के जैसलमेर–जोधपुर हाईवे पर मंगलवार दोपहर एक एसी स्लीपर बस में भयंकर आग लगने से कम-से-कम 20 यात्रियों की दर्दनाक मृत्यु हो गई। घटना थाय्यात गाँव के पास हुई, जब बस जस्सलमेर से रवाना हुई थी। कई घायल लोगों को उपचार के लिए अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
घटना का स्वरूप
बस में यात्रा कर रहे लगभग 35-50 लोग थे, जिनमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे। घटना सिर्फ कुछ ही मिनटों में हुई — आग सबसे पहले बस के पीछे निकली। ड्राइवर ने बस को सड़क किनारे रोका, लेकिन पहले से ही आग तेजी से फैल चुकी थी।
कुछ शव बस की दीवारों या सीटों से चिपके मिले, जबकि कई कोयले में तब्दील हो गए — इस भयानक दृश्य ने राहतकर्मियों को भी सहम कर दिया। एक परिवार पूरी तरह से नष्ट हो गया, जिसे “परिवार खत्म हो गया” की रिपोर्ट में बताया गया। (ध्यान दें: “परिवार खत्म” का शाब्दिक अर्थ है कि उसी परिवार के कई सदस्यों का एक साथ निधन हुआ।)
कारण और विवाद
कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि आग लगने की वजह कोई धमाका या एसी गैस लीकेज हो सकती है। हालांकि प्राथमिक अनुमान एक शॉर्ट सर्किट को माना जा रहा है, जिसने एसी के हिस्से में आग फैला दी।
राहत एवं पहचान
मृतकों की पहचान करना कठिन हो गया है क्योंकि कई शव पहचान के लायक नहीं बचे। डीएनए जांच और फोरेंसिक विशेषज्ञों की टीम मौके पर भेजी गई है। उधर, घायल लोगों को पहले जैसलमेर के अस्पताल ले जाया गया, और गंभीर हाल में उन्हें जोधपुर रिफर किया गया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और मुआवजा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने इस दुखद हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया है। पीएम ने मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख एक्स-ग्रैशिया और घायल लोगों को ₹50,000 देने की घोषणा की है।
यह हादसा न सिर्फ सामूहिक त्रासदी है बल्कि बस सुरक्षा मानकों, आपातकालीन निकासी इंतजाम, एसी सिस्टम की रखरखाव व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
सरकार व परिवहन विभाग को चाहिए कि वह तत्काल जांच कर दोषियों को सज़ा दिलवाए और आगे ऐसी त्रासदियों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त दिशा-निर्देश लागू करें।
यात्री-सुरक्षा, वाहन मानक और नियमित निरीक्षण व्यवस्था पर पुनर्विचार अब और ज़रूरी हो गया है।