भारत पोस्ट ने 15 अक्टूबर 2025 से अमेरिका को भेजी जाने वाली अंतरराष्ट्रीय डाक सेवा को पुनः चालू करने की घोषणा की है। लगभग दो महीने पहले लगे इस निलंबन को केंद्र सरकार के इशारे पर हटा लिया गया है।
निलंबन का पीछे का कारण
अगस्त 2025 में, अमेरिका सरकार द्वारा एक नया राष्ट्रीय एक्जीक्यूटिव आदेश (Executive Order 14324) जारी किया गया, जिसमें अमेरिकी सीमा शुल्क नियमों में बदलाव कर “de minimis” छूट (duty-free exemption) को समाप्त कर दिया गया — अब सभी मनी-हाई-वैल्यू पार्सल्स पर कस्टम ड्यूटी लगानी होगी।
इन नए नियमों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय डाक वस्तुएँ—चाहे उनकी कीमत कितनी भी हो—अब अमेरिकी सीमा शुल्क शुल्कों के अधीन होंगी। इसके लिए यह आवश्यक हुआ कि भारत जैसे देशों को एक ऐसा सिस्टम तैयार करना पड़े, जिसमें शिपमेंट भेजने वाले अग्रिम में कस्टम ड्यूटी जमा करें। लेकिन यह व्यवस्था तुरंत लागू करना संभव नहीं था। इसलिए, निलंबन की घोषणा की गई थी।
निलंबन अवधि एवं राहत
विभागीय सूचना के अनुसार, 25 अगस्त 2025 से अधिकांश अमेरिकी गंतव्य की डाक बंद हो गई थी — केवल पत्र-दस्तावेज़ एवं उपहार (gift) जिनकी कीमत USD 100 तक थी, उन्हें छूट दी गई थी।
उन ग्राहकों को जो पहले ही शिपमेंट बुक कर चुके थे लेकिन वे भेजे नहीं जा सके, उन्हें पोस्टेज वापस पाने की सुविधा दी गई थी। अब पुनरारंभ कैसे होगा
अब भारत पोस्ट ने एक ड्यूटी-पेड (duty-paid) प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया है, जिसमें शिपमेंट भेजने वाले को पूर्व में आवश्यक कस्टम शुल्क चुकाना होगा, ताकि सीमा शुल्क क्लियरेंस में देरी न हो और सेवा सुचारू रूप से चले।
यह प्रणाली अमेरिका भेजे जाने वाले सभी प्रकार की डाक—पत्र, पार्सल, दस्तावेज़—के लिए लागू होगी।
सरकार का यह कदम व्यापारियों, हस्तशिल्पकारों, ई-कॉमर्स व्यवसायों और आम जनता के लिए राहत भरा है, क्योंकि निजी कूरियर की तुलना में यह डाक सेवा अधिक किफायती होती है।
चुनौतियाँ और आगे की राह
नए सिस्टम को सफलतापूर्वक लागू करने में कई चुनौतियाँ हैं — जैसे कि ड्यूटी कलेक्शन मैकेनिज्म, डेटा समन्वय, और एयर कैरियर्स की तकनीकी तैयारियाँ।
लेकिन भारत पोस्ट ने आश्वासन दिया है कि वे सभी संबंधित पक्षों — अमेरिकी सीमा शुल्क, एयरलाइन कंपनियों, और पोस्टल नेटवर्क — के साथ समन्वय कर मार्ग तैयार करेंगे।
अमेरिका को भेजी जाने वाली भारत पोस्ट की डाक सेवा का निलंबन हटना और पुनरारंभ बहुत महत्वपूर्ण कदम है। इस फैसले से न सिर्फ सामान्य लोगों को राहत मिलेगी, बल्कि निर्यातक, हस्तशिल्प उद्योग और ई-कॉमर्स वालों को भी फायदा होगा।
लेकिन वास्तव में यह तभी सफल होगा जब नयी कस्टम प्रणाली पारदर्शी, सरल और तीव्र हो — तभी डाक सेवा भरोसेमंद बनेगी और अंतरराष्ट्रीय मेलिंग प्रणाली पूरी तरह से वापस पटरी पर आ सके।