अमेरिकी मध्यस्थता से हुए युद्धविराम समझौते के एक दिन बाद ही, इज़राइल की जवाबी कार्रवाई में कम-से-कम सात फ़लस्तीनियों की मौत हुई है। यह घटना युद्धविराम की नाजुक स्थिति पर गंभीर संकेत देती है और संकट को और गहरा कर सकती है।
घटना की रूपरेखा
स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों और ग़ाज़ा की आपात सेवा ने बताया कि यह गोलीबारी अलग-अलग स्थानों पर हुई — कुछ घटनाएँ ग़ाज़ा शहर के पूर्वी हिस्सों में और कुछ खान युनिस की ओर हुई।
इज़राइली सेना ने दावा किया कि गोलीबारी उन व्यक्तियों पर हुई, जो सीमाक्षेत्र पर पाई गई “Yellow Line” (पीली रेखा) को पार करके सैनिकों के करीब आने का प्रयास कर रहे थे।
सेना का यह भी कहना है कि कई दृश्यों में चेतावनी देने के बावजूद आरोपितियों ने वापस हटने से इंकार किया, जिससे उन्हें गोली खोलनी पड़ी।
युद्धविराम और समझौते का महत्त्व
इज़राइल और हमास ने 10 अक्तूबर को समझौता किया था जिसमें 20 जीवित बंधकों का पलायन और करीब 2,000 फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई शामिल थी।
समझौते की शर्तों में यह था कि दोनों पक्ष संघर्ष को तुरंत रोके एवं इज़राइली सैनिक पूर्व स्थिति पर लौटेंगे।
लेकिन, इस गोलीबारी ने यह दिखाया कि युद्धविराम अभी भी बहुत नाजुक है और किसी भी समय टूट सकता है।
विश्व और स्थानीय प्रतिक्रिया
इस गोलीबारी की खबर मिलते ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तीखी आलोचना शुरू हो गई। कई देशों और मानवाधिकार संगठनों ने इसे युद्धविराम का उल्लंघन और नागरिक संरक्षण नियमों की अवहेलना बताया।
उधर ग़ाज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय ने मृतकों की संख्या की पुष्टि की और घायलों के इलाज की जानकारी दी।
इज़राइल ने यह भी चेतावनी दी है कि राजनयिक दबाव और समझौतों के बावजूद, यदि हमास ने शर्तों का उल्लंघन किया, तो वह सख्त कार्रवाई करेगा।
युद्धविराम पर संकट
यह विकास इस तथ्य को उजागर करता है कि युद्धविराम केवल कागज़ पर नहीं रह जाना चाहिए — उसका कार्यान्वयन और निगरानी व्यवस्था असरदार होनी चाहिए।
यदि ऐसी घटनाएँ जारी रहीं, तो संघर्ष फिर शुरू हो सकता है। ग़ाज़ा में लोग अभी भी विस्थापन, भोजन-जल संकट और घायल अवस्था में जीवन जूझ रहे हैं।
समझौते की मजबूती इस बात पर निर्भर करेगी कि कौन पक्ष शांति व शर्तों का सम्मान करेगा।
युद्धविराम की शुरुआत को ऊर्जा मिली थी, लेकिन इस गोलीबारी ने दिखाया कि वास्तविक शांति आसान नहीं है।
सात फ़लस्तीनियों की जानें अरबों दिलों को झकझोर कर गईं। यह घटना युद्धविराम को बचाए रखने की चुनौतियों और उस पर भरोसे की कमी को उजागर करती है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, मध्यस्थ देश और पक्षों को चाहिए कि वे दबाव बनाएं और युद्धविराम को स्थिर बनाएं — ताकि और जानें गंवाने की घड़ी न आए।