अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान ने वैश्विक वित्तीय बाजारों में भारी हलचल मचा दी। उनके बयान के कुछ ही मिनटों में वॉल स्ट्रीट सहित दुनिया के कई शेयर बाजारों से करीब 450 अरब डॉलर (लगभग 37 लाख करोड़ रुपये) का मार्केट कैप मिट गया। विश्लेषकों का कहना है कि यह हाल के वर्षों की सबसे तेज़ और अप्रत्याशित बाज़ार गिरावटों में से एक है।
क्या कहा ट्रंप ने?
दरअसल, ट्रंप ने एक सार्वजनिक सभा में कहा कि यदि वे फिर से राष्ट्रपति बनते हैं तो “अमेरिका को चीन के साथ सभी व्यापारिक समझौतों की समीक्षा करनी चाहिए और ऊर्जा क्षेत्र पर विशेष कर (टैक्स) लगाया जाना चाहिए।” उनके इस बयान ने तेल और गैस कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट ला दी। निवेशकों को डर है कि यदि यह नीति लागू हुई तो अमेरिकी तेल उद्योग पर बड़ा आर्थिक दबाव पड़ेगा, जिससे ऊर्जा कीमतें और सप्लाई चेन दोनों प्रभावित हो सकते हैं।
तेल कंपनियों के शेयर धड़ाम, डॉलर कमजोर
ट्रंप के बयान के बाद एनर्जी सेक्टर इंडेक्स में लगभग 5% की गिरावट दर्ज की गई। एक्सॉन मोबिल, शेवरॉन और कोनोकोफिलिप्स जैसी दिग्गज कंपनियों के शेयरों में भारी बिकवाली हुई। इसी के साथ डॉलर इंडेक्स में भी कमजोरी देखी गई, जबकि सोने और बिटकॉइन जैसी सुरक्षित संपत्तियों की ओर निवेशकों का झुकाव बढ़ गया।
निवेशकों का विश्वास डगमगाया
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, निवेशक फिलहाल राजनीतिक अस्थिरता और भविष्य की आर्थिक नीतियों को लेकर संशय में हैं। अमेरिकी फेडरल रिजर्व पहले ही मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने के लिए कड़े कदम उठा रहा है, ऐसे में ट्रंप का बयान निवेशकों के लिए अनिश्चितता का नया दौर लेकर आया है। कई हेज फंड और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों ने अमेरिकी शेयर बाजार से अस्थायी रूप से अपनी पूंजी निकाल ली है।
वैश्विक असर: एशियाई और यूरोपीय बाजारों में भी गिरावट
अमेरिकी बाजारों की गिरावट का असर एशिया और यूरोप के बाजारों पर भी पड़ा। टोक्यो, सियोल, शंघाई और मुंबई के शेयर बाजारों में शुरुआती कारोबार में गिरावट दर्ज की गई। भारतीय निवेशकों ने भी सतर्क रुख अपनाया। सेंसेक्स 600 अंकों तक फिसला, जबकि निफ्टी 200 अंकों से नीचे चला गया। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले कुछ दिन बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है।
क्या संभलेगा बाजार?
फिलहाल अमेरिकी ट्रेजरी और वॉल स्ट्रीट के बड़े निवेशक स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं। विश्लेषक मानते हैं कि अगर ट्रंप अपने बयान पर सफाई नहीं देते, तो बाजार में और गिरावट संभव है। हालांकि कुछ विशेषज्ञ इसे “शॉर्ट-टर्म शॉक” मानते हैं और उम्मीद जताते हैं कि ऊर्जा कीमतों और ब्याज दरों में स्थिरता आने पर बाजार संभल सकता है।
ट्रंप के एक राजनीतिक बयान ने साबित कर दिया कि वैश्विक वित्तीय बाजार कितने संवेदनशील हैं। एक छोटी-सी टिप्पणी भी अरबों डॉलर के उतार-चढ़ाव का कारण बन सकती है। फिलहाल निवेशकों के लिए यह स्थिति सतर्कता बरतने का संकेत है।