भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Currency Reserve) में लगातार चौथे सप्ताह गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि इस बीच सोने के भंडार (Gold Reserve) ने नया ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना लिया है, जिससे समग्र रूप से देश की वित्तीय स्थिति में संतुलन बना हुआ है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, 11 अक्टूबर 2025 को समाप्त सप्ताह तक देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 643.28 अरब डॉलर रह गया है, जो पिछले सप्ताह की तुलना में करीब 1.72 अरब डॉलर की कमी को दर्शाता है। यह गिरावट मुख्यतः विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (Foreign Currency Assets - FCA) में कमी के कारण हुई है।
आरबीआई की रिपोर्ट बताती है कि विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां घटकर 563.45 अरब डॉलर पर पहुंच गई हैं, जबकि सोने का भंडार बढ़कर 57.89 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की बढ़ती कीमतों और रिजर्व बैंक द्वारा रणनीतिक खरीद के चलते यह उछाल देखने को मिला है।
इसके साथ ही, आईएमएफ के तहत रिजर्व पोजीशन में मामूली गिरावट आई है और यह 4.91 अरब डॉलर दर्ज की गई है। वहीं विशेष आहरण अधिकार (SDR) भी घटकर 17.03 अरब डॉलर पर पहुंच गए हैं।
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि डॉलर की मजबूती और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) द्वारा लगातार निकासी से विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बना हुआ है। इसके बावजूद भारत का कुल भंडार अब भी विश्व में चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है, जो देश की आर्थिक स्थिरता को मजबूत आधार प्रदान करता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले हफ्तों में त्योहारी सीजन, बढ़ती तेल मांग और वैश्विक ब्याज दरों में संभावित उतार-चढ़ाव के कारण रिजर्व पर और असर पड़ सकता है। हालांकि, सोने के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने से यह संकेत मिलता है कि आरबीआई अपनी विविधीकरण रणनीति (Diversification Strategy) को सफलतापूर्वक लागू कर रहा है।
भारत की मौद्रिक स्थिति फिलहाल संतुलित बनी हुई है और विशेषज्ञों को उम्मीद है कि जैसे ही वैश्विक बाजार स्थिर होंगे, विदेशी मुद्रा भंडार में पुनः वृद्धि दर्ज की जा सकेगी।