दुनिया की नज़रें एक बार फिर यूक्रेन युद्ध पर टिक गई हैं, क्योंकि अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शुक्रवार को करीब दो घंटे लंबी फोन बातचीत हुई। दोनों नेताओं ने यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए संभावित शांति वार्ता के रास्तों पर चर्चा की और बुडापेस्ट में होने वाली आगामी मुलाकात को लेकर सहमति जताई है।
व्हाइट हाउस सूत्रों के अनुसार, यह बातचीत बेहद “गंभीर लेकिन रचनात्मक” माहौल में हुई, जिसमें यूक्रेन में चल रहे सैन्य टकराव, पश्चिमी देशों की भूमिका और रूस पर लगे प्रतिबंधों जैसे मुद्दे प्रमुख रहे। ट्रंप ने पुतिन से कहा कि “अब समय आ गया है कि युद्ध बंद हो और स्थायी शांति की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं।”
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, पुतिन ने भी इस बात पर सहमति जताई कि “राजनयिक समाधान ही आगे का एकमात्र रास्ता है।” उन्होंने कहा कि रूस अपने सुरक्षा हितों की गारंटी चाहता है, लेकिन अगर अमेरिका और यूरोप रचनात्मक बातचीत के लिए तैयार हैं, तो युद्धविराम संभव है।
यह वार्ता ऐसे समय में हुई है जब यूरोपीय संघ के कई सदस्य देश भी युद्ध से उपजे ऊर्जा संकट, आर्थिक मंदी और बढ़ते शरणार्थी बोझ से परेशान हैं। हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में अगले महीने प्रस्तावित इस शांति वार्ता को लेकर कूटनीतिक हलकों में खासा उत्साह है। माना जा रहा है कि हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन इसके मेजबान होंगे, जो रूस और पश्चिम — दोनों से संतुलित संबंध रखने के लिए जाने जाते हैं।
ट्रंप, जो 2024 के अमेरिकी चुनावों में दोबारा प्रमुख दावेदार रहे हैं, लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि “अगर वे सत्ता में होते, तो यूक्रेन युद्ध 24 घंटे में खत्म हो जाता।” अब जब वे फिर से अमेरिकी राजनीति के केंद्र में हैं, यह बातचीत उनके अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और कूटनीतिक सक्रियता को दर्शाती है।
वहीं, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा कि “किसी भी शांति वार्ता का स्वागत है, लेकिन उसमें यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता पर कोई समझौता नहीं होगा।” नाटो देशों ने भी स्पष्ट किया है कि शांति की पहल तभी सफल होगी जब रूस सैनिकों की वापसी पर सहमत होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, बुडापेस्ट मुलाकात अगर सफल रहती है तो यह यूक्रेन संघर्ष के अब तक के सबसे अहम मोड़ों में से एक साबित हो सकती है। दोनों देशों के बीच संवाद का यह नया दौर न केवल युद्धग्रस्त यूरोप बल्कि पूरी दुनिया के लिए राहत की उम्मीद जगाता है।