भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान के बीच एक बार फिर देश के पुलिस तंत्र की साख पर सवाल उठे हैं। केंद्रीय जांच एजेंसियों ने एक पुलिस उप महानिरीक्षक (DIG) के ठिकानों पर छापेमारी कर करीब 5 करोड़ रुपये नकद, 1.5 किलो सोना, और मर्सिडीज-बेंज व ऑडी जैसी लग्जरी कारें जब्त की हैं। यह कार्रवाई उस समय हुई जब अधिकारी के खिलाफ लंबे समय से आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच चल रही थी।
सूत्रों के मुताबिक, छापेमारी के दौरान जांच टीम को कई बैंक खातों के दस्तावेज़, विदेशी निवेश से जुड़े कागजात, और महंगी घड़ियों का कलेक्शन भी मिला। टीम ने घर के अंदर बने गुप्त लॉकरों से बड़ी मात्रा में नकदी और ज्वेलरी बरामद की। बताया जा रहा है कि अधिकारी ने पिछले कुछ वर्षों में अपने रिश्तेदारों और करीबी दोस्तों के नाम पर भी संपत्तियां खरीदी थीं।
जांच एजेंसी ने शुरुआती पूछताछ में पाया कि अधिकारी की घोषित आय और उसकी संपत्ति में भारी असमानता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “छापों के बाद जो साक्ष्य मिले हैं, उनसे यह स्पष्ट है कि यह एक संगठित घूसखोरी और धनशोधन का मामला है।” जांच टीम ने अब संबंधित बैंकों और रियल एस्टेट कंपनियों से भी जानकारी मांगी है।
यह मामला पुलिस सेवा में व्याप्त भ्रष्टाचार के उस काले पक्ष को उजागर करता है, जो ईमानदार अधिकारियों की छवि पर भी दाग लगाता है। विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सरकार से जवाब मांगा है और कहा है कि “केवल निचले स्तर के नहीं, बल्कि ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारियों की भी जवाबदेही तय होनी चाहिए।”
सरकार ने फिलहाल DIG को निलंबित करते हुए विभागीय जांच के आदेश दे दिए हैं। वहीं, यह मामला उन आम नागरिकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है जो ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करने वाले अधिकारियों से बेहतर प्रणाली की उम्मीद रखते हैं।