गुजरात की राजनीति में शुक्रवार को बड़ा उलटफेर देखने को मिला जब मुख्यमंत्री को छोड़कर राज्य के सभी मंत्रियों ने अचानक इस्तीफ़ा दे दिया। इस अप्रत्याशित कदम से राज्य की राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं और भाजपा के भीतर नए सिरे से नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं जोरों पर हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस्तीफ़ों का सिलसिला मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई एक आपात कैबिनेट बैठक के बाद शुरू हुआ। बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान ने राज्य में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले संगठन और सरकार दोनों में "नई ऊर्जा" लाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया है। फिलहाल मुख्यमंत्री अपने पद पर बने रहेंगे, जबकि नई मंत्रिपरिषद के गठन की तैयारी शुरू हो चुकी है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भाजपा के भीतर "युवा चेहरों" को आगे लाने और संगठन में संतुलन साधने की रणनीति का हिस्सा है। पार्टी सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि अगले कुछ दिनों में मंत्रियों की नई सूची घोषित की जा सकती है, जिसमें कुछ अनुभवी नेताओं के साथ नए चेहरों को भी जगह मिलेगी।
विपक्ष ने इस सामूहिक इस्तीफ़े को सरकार की विफलताओं से जोड़ते हुए कहा है कि “यह जनता के असंतोष और सरकार के भीतर की खींचतान का नतीजा है।” कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर प्रशासनिक अस्थिरता पैदा करने का आरोप लगाया है। वहीं भाजपा प्रवक्ता ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि “यह पार्टी का सामूहिक निर्णय है और परिवर्तन केवल सुशासन को और सशक्त करने के लिए है।”
राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि केंद्रीय नेतृत्व आगामी चुनावों को देखते हुए गुजरात मॉडल में एक बार फिर बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री ने इस्तीफ़ों को मंज़ूरी देते हुए कहा कि “यह संगठनात्मक अनुशासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जिससे सरकार और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनेगी।”
गुजरात की राजनीति में यह घटनाक्रम आने वाले दिनों में कई नए समीकरण बना सकता है। जनता अब इस इंतजार में है कि नई टीम में कौन-कौन शामिल होंगे और राज्य की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ेगी।