बांग्लादेश की राजधानी ढाका में शुक्रवार को माहौल अचानक तनावपूर्ण हो गया जब हजारों की संख्या में युवाओं ने संवैधानिक सुधारों (Constitutional Reforms) के खिलाफ संसद परिसर के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए संसद के मुख्य गेट को फांदकर परिसर में प्रवेश कर लिया। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिसके बाद झड़पें शुरू हो गईं और स्थिति कुछ समय के लिए बेकाबू हो गई।
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह विरोध प्रदर्शन उस वक्त उग्र हुआ जब संसद में प्रधानमंत्री शेख हसीना सरकार ने संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। इस संशोधन के तहत राष्ट्रपति के अधिकारों में वृद्धि और चुनावी प्रक्रिया में सरकारी नियंत्रण बढ़ाने से संबंधित प्रावधान शामिल हैं। विपक्षी दलों और युवाओं का कहना है कि यह कदम देश में “लोकतंत्र की हत्या” के समान है।
प्रदर्शनकारी युवाओं ने हाथों में बैनर और राष्ट्रीय झंडे लिए “वी वांट फ्री इलेक्शन” और “नो मोर डायनास्टिक पॉलिटिक्स” जैसे नारे लगाए। कई युवाओं का कहना था कि वे रोजगार, शिक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मूल अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार संवैधानिक सुधारों के नाम पर जन आवाज को कुचलना चाहती है।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसके बावजूद कुछ युवाओं ने संसद की दीवारें लांघकर परिसर में प्रवेश कर लिया, जहां उन्हें हिरासत में ले लिया गया। ढाका पुलिस कमिश्नर ने बताया कि अब तक करीब 120 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और स्थिति पर काबू पा लिया गया है।
घटना के बाद सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर दी है। संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और प्रमुख सरकारी दफ्तरों के आसपास अर्धसैनिक बल (BGB) की अतिरिक्त तैनाती की गई है। वहीं, इंटरनेट सेवाओं में भी कुछ क्षेत्रों में अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगाया गया है ताकि अफवाहों पर नियंत्रण रखा जा सके।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह विरोध आंदोलन बांग्लादेश की राजनीति में एक नए दौर की शुरुआत हो सकता है। पिछले कुछ वर्षों में युवाओं के बीच बेरोजगारी, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कमी और राजनीतिक ध्रुवीकरण जैसे मुद्दे लगातार उभर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार ने संवाद का रास्ता नहीं अपनाया, तो यह असंतोष और व्यापक सामाजिक अशांति का रूप ले सकता है।
वहीं, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बयान जारी कर कहा है कि “संविधान संशोधन लोकतंत्र को मजबूत करने और प्रशासनिक पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आवश्यक है।” उन्होंने यह भी अपील की कि कोई भी नागरिक हिंसा का सहारा न ले।
हालांकि विपक्षी दलों का कहना है कि यह सुधार जनता की आवाज दबाने की साजिश है और वे आने वाले हफ्तों में देशव्यापी आंदोलन की घोषणा कर सकते हैं।
ढाका में हालात भले फिलहाल नियंत्रण में हों, लेकिन इस घटना ने बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं।