राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एक बार फिर जहरीली हवा की गिरफ्त में है। बुधवार सुबह प्रदूषण का स्तर खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया। दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के पार दर्ज किया गया, जो "बहुत खराब" से बढ़कर "गंभीर" श्रेणी में पहुंच गया है। आनंद विहार, द्वारका, आईटीओ और नरेला जैसे इलाकों में AQI 450 से ऊपर दर्ज हुआ। हालात इतने बिगड़े हैं कि सांस लेने में परेशानी और आंखों में जलन जैसी शिकायतें तेजी से बढ़ी हैं।
दिल्ली सरकार और केंद्र द्वारा किए गए तमाम एंटी-स्मॉग उपाय — जैसे वाटर स्प्रिंकलिंग, एंटी-स्मॉग गन, सड़क सफाई और निर्माण कार्यों पर रोक — फिलहाल नाकाफी साबित हो रहे हैं। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का चौथा चरण लागू करने पर विचार किया जा रहा है, जिसमें स्कूल बंद करने, डीज़ल वाहनों पर रोक और निर्माण गतिविधियों को पूरी तरह बंद करने जैसे कदम शामिल हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने, वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक धुएं और ठंडी हवाओं की कमी ने मिलकर हवा को और जहरीला बना दिया है। मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, अगले दो दिनों में हवा की गति बेहद कम रहने की संभावना है, जिससे प्रदूषण में राहत की उम्मीद नहीं है। दिल्ली-एनसीआर में दृश्यता घटने लगी है और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन रोगियों को घरों में रहने की सलाह दी है।
वहीं, दक्षिण भारत में मौसम ने अलग रूप ले लिया है। भारतीय मौसम विभाग ने तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भारी से अति भारी वर्षा का अलर्ट जारी किया है। बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव क्षेत्र के कारण अगले 48 घंटे में इन राज्यों में तेज हवाओं और गरज-चमक के साथ बारिश की संभावना जताई गई है।
जहां एक ओर उत्तर भारत प्रदूषण से जूझ रहा है, वहीं दक्षिण भारत बाढ़ जैसे हालातों की ओर बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह मौसमीय असंतुलन जलवायु परिवर्तन की तीव्रता का संकेत है, जिससे भविष्य में और गंभीर पर्यावरणीय संकट खड़े हो सकते हैं।