बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन (राजद, कांग्रेस, वाम दल और वीआईपी) ने पटना में अपना घोषणापत्र जारी किया है। इस घोषणापत्र को “तेजस्वी प्रण” नाम दिया गया है, जिसमें कुल 25 प्रमुख संकल्प शामिल हैं। गठबंधन ने युवाओं, किसानों, महिलाओं और सरकारी कर्मचारियों के लिए कई बड़े वादे किए हैं, जिनके जरिए वह जनता का विश्वास जीतने की कोशिश कर रहा है।
घोषणापत्र की सबसे बड़ी घोषणा है — “हर घर को एक सरकारी नौकरी”। महागठबंधन ने वादा किया है कि सरकार बनने के बाद हर परिवार से एक सदस्य को सरकारी नौकरी का अवसर दिया जाएगा। इसके साथ ही पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल करने और संविदा कर्मचारियों को स्थायी दर्जा देने का आश्वासन दिया गया है।
महिलाओं के लिए “माई-बहिन मान योजना” के तहत प्रति माह ₹2,500 की सहायता राशि देने का वादा किया गया है। वहीं, किसानों के लिए भूमिहीन परिवारों को 5 डिसमिल जमीन देने, कृषि बीमा योजना को मज़बूत करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया है।
महागठबंधन ने अपने घोषणापत्र में मुफ्त बिजली योजना भी शामिल की है, जिसके तहत हर घर को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का दावा किया गया है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन में वृद्धि, वृद्ध और विधवा महिलाओं के लिए पेंशन राशि बढ़ाने का वादा भी किया गया है।
शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी महागठबंधन ने कई घोषणाएं की हैं। सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती, कॉलेजों में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने और प्रत्येक जिले में सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल खोलने की बात कही गई है।
घोषणापत्र जारी करते हुए राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा, “यह चुनाव घोषणाओं का नहीं, भरोसे का है। जनता हमें मौका देगी तो बिहार को एक नई दिशा देंगे।”
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इन वादों को लागू करना आसान नहीं होगा। वित्तीय संसाधन, रोजगार सृजन और ज़मीन आवंटन जैसी चुनौतियाँ सामने हैं। बावजूद इसके, तेजस्वी यादव की टीम इस घोषणापत्र को चुनावी रण में अपना सबसे बड़ा हथियार मान रही है।