भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रणनीतिक सहयोग को नई दिशा मिल गई है। दोनों देशों के बीच एक बड़ी रक्षा डील पर सहमति बनी है, जिसके तहत हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने तेजस लड़ाकू विमानों के लिए अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक (GE) कंपनी से 113 जेट इंजन खरीदने का फैसला लिया है। यह सौदा ऐसे समय हुआ है जब भारत-चीन सीमा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस करार को भारतीय वायुसेना की क्षमता में बड़ा इजाफा करने वाला कदम माना जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक, HAL द्वारा खरीदे जाने वाले ये इंजन GE-F414 मॉडल के होंगे, जो स्वदेशी तेजस मार्क-2 लड़ाकू विमानों में लगाए जाएंगे। इन इंजनों के माध्यम से वायुसेना के बेड़े में न सिर्फ आधुनिकता आएगी बल्कि भारत की स्वदेशी रक्षा उत्पादन नीति को भी मजबूती मिलेगी। डील की कुल अनुमानित लागत करीब 5 अरब डॉलर बताई जा रही है। यह अब तक का भारत और अमेरिका के बीच सबसे बड़ा इंजन निर्माण करार है।
इस डील की खासियत यह है कि इसमें ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी हस्तांतरण का प्रावधान भी शामिल किया गया है। GE कंपनी भारत में HAL के साथ मिलकर इन इंजनों का उत्पादन करेगी। इससे भारत को जेट इंजन निर्माण की अत्याधुनिक तकनीक हासिल होगी, जो भविष्य में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगी।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह डील भारत की सामरिक जरूरतों के साथ-साथ अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी को भी गहरा करेगी। तेजस मार्क-2 विमान आने वाले वर्षों में मिग-29 और मिराज-2000 जैसे पुराने विमानों की जगह लेंगे। उन्नत इंजन मिलने से इन विमानों की रफ्तार, रेंज और युद्ध क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान इस डील की रूपरेखा तय की गई थी, जिसे अब आधिकारिक मंजूरी मिल गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समझौता भारत को रक्षा निर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।