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संपादकीय

World powers supported military action against terrorists- Operation Sindoor: आतंकियों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई-ऑपरेशन सिंदूर का विश्व शक्तियों ने किया समर्थन, कहा आतंक और आतंकियों के लिए कहीं कोई जगह नहीं है, फिर भी संयम बरतने की जरूरत

May 07, 2025 07:07 PM

भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़ 

जी हां भारत ने 6-7 मई 2025 की रात को "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर राफेल जेट्स और स्काल्प मिसाइलों से हवाई हमले किए। इन हमलों का उद्देश्य आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था, जिनमें बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय और मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा शामिल था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमलों में जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर के परिवार के कई सदस्य मारे गए। इसमें उनकी पत्नी, बच्चे और करीबी रिश्तेदार शामिल थे। जानकारी के अनुसार, अजहर के परिवार के सदस्य पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र में स्थित एक गुप्त आतंकी ठिकाने में मौजूद थे। यह कार्रवाई भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा 22 अप्रैल को जम्मू काश्मीर के पहलगाम में हुए हमले में मारे गए 26 भारतीय पर्यटकों का प्रतिशोध लेने के उद्देश्य से की गई थी। भारत सरकार ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई आत्मरक्षा के तहत की गई थी और इसका उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश देना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह ऑपरेशन भारत की जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक बन गया है। इस ऑपरेशन वैश्विक समुदाय ने समर्थन किया है और साथ ही कई देशों ने संयम और कूटनीति बरतने की भी अपील की है। अमेरिका ने भारत की इस सैन्य कार्रवाई पर संयम बनाए रखने की अपील की। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "हम भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर ध्यान दे रहे हैं और दोनों देशों से शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने की अपील करते हैं।" अमेरिका ने यह भी बताया कि वह पाकिस्तान और भारत दोनों देशों के साथ कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से संपर्क में है और इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए अपने प्रयासों को जारी रखेगा। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा, "हम भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का सम्मान करते हैं, लेकिन हम दोनों देशों से यह भी अपील करते हैं कि वे सैन्य कार्रवाई से बचते हुए, शांति और संवाद के माध्यम से अपने मतभेदों को हल करें। "रूस ने भारत की कार्रवाई को आत्मरक्षा के तहत किया गया कदम माना। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बयान में कहा, "भारत का यह कदम अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। रूस हमेशा भारत के साथ खड़ा रहेगा, खासकर जब बात उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा की होती है। हम इस मामले को समझते हैं और उम्मीद करते हैं कि दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता बनी रहे।" रूस ने पाकिस्तान से भी संयम बरतने की अपील की और कहा कि यह समय सैन्य संघर्ष के बजाय कूटनीतिक वार्ता का है। चीन, जो भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ कूटनीतिक संबंध रखता है, ने भी दोनों देशों से शांति की अपील की। चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, "हम भारत और पाकिस्तान से आग्रह करते हैं कि वे अपनी शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं और किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई से बचें।" चीन ने यह भी कहा कि यह समय बातचीत और संघर्षों से बचने का है, ताकि पूरे दक्षिण एशिया में शांति का माहौल बने। हालांकि, चीन ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया और भारत की कार्रवाई पर अपनी चिंता भी व्यक्त की। संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर अपनी चिंता व्यक्त की और दोनों देशों से युद्धविराम की अपील की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, "हम भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई की निंदा करते हैं।" उन्होंने आगे कहा कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए दोनों देशों को आपसी संवाद और वार्ता को प्राथमिकता देनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र ने भारत और पाकिस्तान दोनों से आह्वान किया कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून और शांति स्थापित करने के प्रयासों का पालन करें। साथ ही, इस संकट से बचने के लिए सभी पक्षों को संयम बनाए रखने की सलाह दी गई। संयुक्त अरब अमीरात ने भी इस विवाद पर अपनी चिंता जताई और दोनों देशों से तनाव कम करने का आह्वान किया। यूएई के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "हम दोनों देशों से यह अपील करते हैं कि वे किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई से बचें और कूटनीतिक रास्ते को अपनाएं।" यूएई ने भारतीय और पाकिस्तानी नेताओं से बातचीत की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने का आह्वान किया ताकि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। यूएई ने दोनों देशों के बीच मौजूदा संघर्षों को अंतरराष्ट्रीय क़ानून और मानवीय सिद्धांतों के दायरे में सुलझाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। दूसरी ओर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने शायद अभी भी इस घटनाक्रम से कोई सबक नहीं लिया है। पाकिस्तान ने भारत की इस सैन्य कार्रवाई का विरोध किया और इसे "युद्ध की कार्रवाई" करार दिया। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई और भारतीय हमलों का माकूल जवाब देने की बात कही। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान को इस थोपे गए युद्ध का माकूल जवाब देने का पूरा अधिकार है, और हम ऐसा कर भी रहे हैं।" पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि उन्होंने भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया और नियंत्रण रेखा के पार स्थित पुंछ और राजौरी के इलाकों में भारतीय नागरीकी ठिकानों पर हमला किया है। इस हमले में 10 भारतीय नागरिकों के मारे जाने के समाचार हैं। अंत में कह सकते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद, यह स्पष्ट है कि वैश्विक समुदाय शांति की दिशा में कदम बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित है। अमेरिका, रूस, चीन, संयुक्त राष्ट्र और यूएई जैसे वैश्विक खिलाड़ी इस विवाद को कूटनीतिक उपायों से हल करने की दिशा में सक्रिय हैं। इस पूरे घटनाक्रम से यह शिक्षा मिलती है कि सैन्य कार्रवाई के बजाय शांति और संवाद ही दक्षिण एशिया के लिए स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। दोनों देशों के लिए यह आवश्यक है कि वे भविष्य में इस संघर्ष को कूटनीतिक समाधान के माध्यम से हल करने का प्रयास करें, ताकि क्षेत्र में शांति और समृद्धि स्थापित हो सके।

 

 

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