Tuesday, June 24, 2025
BREAKING
Weather: गुजरात में बाढ़ से हाहाकार, अब तक 30 लोगों की मौत; दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश की चेतावनी जारी दैनिक राशिफल 13 अगस्त, 2024 Hindenburg Research Report: विनोद अदाणी की तरह सेबी चीफ माधबी और उनके पति धवल बुच ने विदेशी फंड में पैसा लगाया Hindus in Bangladesh: मर जाएंगे, बांग्लादेश नहीं छोड़ेंगे... ढाका में हजारों हिंदुओं ने किया प्रदर्शन, हमलों के खिलाफ उठाई आवाज, रखी चार मांग Russia v/s Ukraine: पहली बार रूसी क्षेत्र में घुसी यूक्रेनी सेना!, क्रेमलिन में हाहाकार; दोनों पक्षों में हो रहा भीषण युद्ध Bangladesh Government Crisis:बांग्लादेश में शेख हसीना का तख्तापलट, सेना की कार्रवाई में 56 की मौत; पूरे देश में अराजकता का माहौल, शेख हसीना के लिए NSA डोभाल ने बनाया एग्जिट प्लान, बौखलाया पाकिस्तान! तीज त्यौहार हमारी सांस्कृतिक विरासत, इन्हें रखें सहेज कर- मुख्यमंत्री Himachal Weather: श्रीखंड में फटा बादल, यात्रा पर गए 300 लोग फंसे, प्रदेश में 114 सड़कें बंद, मौसम विभाग ने 7 अगस्त को भारी बारिश का जारी किया अलर्ट Shimla Flood: एक ही परिवार के 16 सदस्य लापता,Kedarnath Dham: दो शव मिले, 700 से अधिक यात्री केदारनाथ में फंसे Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी की सब-कैटेगरी में आरक्षण को दी मंज़ूरी

संपादकीय

Gender equality: A decisive journey from women empowerment to justice and rights: लैंगिक समानता: महिला सशक्तीकरण से आगे बढ़कर न्याय और अधिकार की निर्णायक यात्रा

June 20, 2025 06:02 PM

 भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़  

भारत की प्रगति की कहानी तब तक अधूरी है जब तक उसमें महिलाओं की पूर्ण और समान भागीदारी सुनिश्चित न हो। लैंगिक समानता केवल महिला सशक्तीकरण का मुद्दा नहीं, बल्कि यह सामाजिक न्याय, समावेशन और मानवीय गरिमा की एक व्यापक अवधारणा है। यद्यपि भारत ने शिक्षा, कानून, स्वास्थ्य और राजनीति जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय सुधार किए हैं, लेकिन अभी भी संरचनात्मक असमानताएँ, सांस्कृतिक पूर्वाग्रह और आर्थिक असंतुलन महिलाओं की राह में बाधा बने हुए हैं। आइये बात करते हैं इस क्षेत्र में खास प्रगति के बारे में। प्राथमिक से माध्यमिक स्तर पर लड़कियों का नामांकन लड़कों से अधिक हो गया है—प्राथमिक स्तर पर 94.32% और माध्यमिक में 81.32%। साक्षरता दर में भी उल्लेखनीय उछाल आया है। 1947 में मात्र 9% से बढ़कर अब यह 77% हो गई है, जो महिलाओं की सशक्त भागीदारी का संकेत है। पी एम जे डी वाई के तहत महिलाओं के नाम पर खुले खातों की संख्या 56% तक पहुँची है। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण  जैसे कार्यक्रमों ने महिलाओं को सब्सिडी और कल्याण योजनाओं का सीधा लाभ पहुंचाया है। आपराधिक कानून (संशोधन), 2013 से यौन अपराधों पर कठोर दंड लागू हुआ। 2017 में 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश देकर कार्यस्थलों को महिला-मैत्री बनाया गया।  नेतृत्व में महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ रही है।न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना भारत की पहली महिला सी जे आई बनने की ओर अग्रसर हैं। एन एस ई की 97% कंपनियों में कम से कम एक महिला निदेशक की नियुक्ति हो चुकी है। महिलाओं का . राजनीतिक सशक्तीकरण भी बढ़ा है। पंचायती राज में 40% से अधिक पद अब महिलाओं के पास हैं। महिला आरक्षण अधिनियम 2023 संसद और विधानसभाओं में 33% आरक्षण सुनिश्चित करता है। स्वास्थ्य और पोषण की बात करें तो जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम और आयुष्मान भारत योजना से महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ी। ए बी-पी एम जे ए वाई के तहत 49% लाभार्थी महिलाएँ हैं। महिलाओं की  ग्रामीण कार्यबल में भी भागीदारी बढ़ी है।मनरेगा  में 57.47% महिलाएँ सक्रिय हैं—यह उनके आर्थिक स्वावलंबन का प्रमाण है। स्टैंड अप इंडिया और मुद्रा जैसी योजनाओं के तहत 68% ऋण महिलाओं को दिए गए। एस एच जी और लखपति दीदी योजना ने महिला उद्यमियों को वित्तीय और सामाजिक पूँजी दी। इस मामले में कई प्रमुख चुनौतियाँ भी हैं। जैसे राजनीतिक प्रतिनिधित्व में कमीः संसद में महिलाओं की भागीदारी मात्र 13.8% है।मंत्री पदों पर सिर्फ 5.6% महिलाएँ, जिससे निर्णय प्रक्रिया में उनकी सीमित भागीदारी सामने आती है। श्रमबल में न्यून भागीदारी और वेतन असमानताः 41.7% महिला भागीदारी अभी भी अपेक्षा से कम है। शहरी क्षेत्रों में महिलाएँ 30-40% कम वेतन पाती हैं। अवैतनिक कार्यों का मूल्य 19 लाख करोड़ रुपये आँका गया।. पितृसत्तात्मक सोच और सांस्कृतिक बंधनः निर्णय क्षमता में कमी: 59% महिलाएँ वित्तीय निर्णय स्वतंत्र रूप से नहीं लेतीं। ग्लास सीलिंग और ग्लास क्लिफ जैसी अवधारणाएँ अभी भी प्रचलित हैं।अपर्याप्त शिशु देखभाल और मातृत्व सहायताः 73% महिलाएँ मातृत्व के बाद नौकरियाँ छोड़ देती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बाल देखभाल केंद्रों का अभाव एक बड़ी चुनौती है।वित्तीय सेवाओं का सीमित उपयोगः सर्वे 2021 के अनुसार, 32% महिला बैंक खाते निष्क्रिय हैं। शैक्षिक उपलब्धि बनाम रोज़गार अवसरः स्टैम स्नातकों में महिलाओं की संख्या अधिक है, फिर भी केवल 27% कार्यबल में महिलाएँ हैं। अब यहां नीतिगत सुधार और सामाजिक बदलाव अपेक्षित हैं जिसमें कौशल विकास और डिजिटल साक्षरताः ग्रामीण महिलाओं के लिये डिजिटल, टेक्नोलॉजी और ग्रीन जॉब्स आधारित ट्रेनिंग। गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में सहभागिता को प्रोत्साहन (जैसे स्टैम, फिनटेक)। लिंग-संवेदनशील श्रम कानूनों का सशक्त प्रवर्तनः समान वेतन, पारिवारिक अवकाश, और कार्यस्थल सुरक्षा को कानूनी रूप से मजबूती देना। कंपनियों का लैंगिक ऑडिट और अनुपालन सुनिश्चित करना। स्थानीय से राष्ट्रीय राजनीति तक नेतृत्व विस्तारः महिला प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों से लैस करना। पंचायत से लेकर संसद तक महिलाओं की राजनीतिक समझ और भागीदारी बढ़ाना।लैंगिक बजट और नीतियों का संस्थानीकरणः हर सरकारी नीति में जेंडर इम्पैक्ट मूल्यांकन।स्वास्थ्य, शिक्षा और रोज़गार में महिला-केंद्रित बजटीय आवंटन। महिला उद्यमिता के लिये वित्तीय इकोसिस्टम का निर्माणः कम ब्याज दरों पर ऋण, संपार्श्विक रहित ऋण की सुविधा। महिला स्टार्टअप नेटवर्क, मार्गदर्शन और निवेश सहायता।शैक्षिक पाठ्यक्रम में लैंगिक समावेशनः स्कूलों में जेंडर सेंसिटाइजेशन मॉड्यूल की शुरुआत। लड़कियों को स्टैम और लड़कों को केयरिंग प्रोफेशन के प्रति प्रेरित करना। डेटा-संचालित नीति निर्माणः लैंगिक-विभाजन डेटा के आधार पर योजनाओं का निर्माण और निगरानी। राष्ट्रीय महिला कार्यबल रजिस्ट्री का निर्माण। घरेलू कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षाः न्यूनतम वेतन, बाल देखभाल, और स्वास्थ्य बीमा जैसी योजनाओं का विस्तार। घरेलू कामगारों के लिए औपचारिक संगठन और सशक्तिकरण।जेंडर इम्पैक्ट बॉन्ड का निर्माणः निजी निवेश को महिला-केंद्रित योजनाओं में जोड़ना। निवेशकों को आउटकम आधारित रिटर्न मिलना—जैसे महिला साक्षरता, स्वास्थ्य, उद्यमिता। अंत में कह सकते हैं कि लैंगिक समानता कोई एकल लक्ष्य नहीं, बल्कि निरंतर संघर्ष और सुधार की प्रक्रिया है। भारत ने एक लंबी दूरी तय की है, परंतु यात्रा अभी बाकी है। न्यायपूर्ण, समावेशी और सतत विकास के लिये यह आवश्यक है कि पुरुषों और महिलाओं को समान मंच, संसाधन और अवसर मिलें। "लैंगिक समानता केवल एक महिला मुद्दा नहीं, यह एक राष्ट्रीय ज़िम्मेदारी है।"

 

 

Have something to say? Post your comment

और संपादकीय समाचार

India became the focus of G-7 summit: भारत बना जी-7 समिट का फोकस, पीएम मोदी से मुलाकात के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री का बदला रुख

India became the focus of G-7 summit: भारत बना जी-7 समिट का फोकस, पीएम मोदी से मुलाकात के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री का बदला रुख

India-EU Partnership: From Defence to Trade, a new era of prosperity and security begins!: भारत-ईयू साझेदारी: रक्षा से व्यापार तक, समृद्धि और सुरक्षा का नया युग शुरू!

India-EU Partnership: From Defence to Trade, a new era of prosperity and security begins!: भारत-ईयू साझेदारी: रक्षा से व्यापार तक, समृद्धि और सुरक्षा का नया युग शुरू!

Misuse of evidence: When police declared Indian citizens as Bangladeshis: सबूत का दुरुपयोग: जब भारतीय नागरिकों को पुलिस ने बताया बांग्लादेशी

Misuse of evidence: When police declared Indian citizens as Bangladeshis: सबूत का दुरुपयोग: जब भारतीय नागरिकों को पुलिस ने बताया बांग्लादेशी

"3 major reforms that will bring transparency and fairness in elections: "चुनावों में पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने वाले 3 बड़े सुधार: भारत के लोकतंत्र को मिलेगा नया आधार"

 Small businesses, big hopes: India's inclusive and sustainable future through MSMEs: छोटे उद्योग, बड़ी उम्मीदें: एम एस एम ई के जरिए भारत का समावेशी और टिकाऊ भविष्य

Small businesses, big hopes: India's inclusive and sustainable future through MSMEs: छोटे उद्योग, बड़ी उम्मीदें: एम एस एम ई के जरिए भारत का समावेशी और टिकाऊ भविष्य

Take-off is becoming fatal! Every fourth major air accident occurs at this time! : टेक-ऑफ बन रहा जानलेवा! हर चौथी बड़ी हवाई दुर्घटना इसी वक्त होती है!

Take-off is becoming fatal! Every fourth major air accident occurs at this time! : टेक-ऑफ बन रहा जानलेवा! हर चौथी बड़ी हवाई दुर्घटना इसी वक्त होती है!

India moves towards improving research, digital health and skill development and public-private partnerships to shape the future of the health sector: अनुसंधान, डिजिटल स्वास्थ्य और कौशल विकास में सुधार व सार्वजनिक-निजी साझेदारी स्वास्थ्य क्षेत्र के भविष्य को आकार देने की ओर भारत

India moves towards improving research, digital health and skill development and public-private partnerships to shape the future of the health sector: अनुसंधान, डिजिटल स्वास्थ्य और कौशल विकास में सुधार व सार्वजनिक-निजी साझेदारी स्वास्थ्य क्षेत्र के भविष्य को आकार देने की ओर भारत

India must prioritise teacher empowerment, community participation and skill integration: भारत को अमीरी से पहले बूढ़ा होने से बचाने के लिए शिक्षक सशक्तीकरण, सामुदायिक भागीदारी और कौशल समन्वय को प्राथमिकता देनी चाहिए

India must prioritise teacher empowerment, community participation and skill integration: भारत को अमीरी से पहले बूढ़ा होने से बचाने के लिए शिक्षक सशक्तीकरण, सामुदायिक भागीदारी और कौशल समन्वय को प्राथमिकता देनी चाहिए

Independent monitoring, transparent asset declaration and regular process reviews are essential for judicial accountability: न्यायिक जवाबदेही हेतु स्वतंत्र निगरानी, पारदर्शी परिसंपत्ति घोषणा और नियमित कार्यप्रणाली समीक्षा जरूरी

Independent monitoring, transparent asset declaration and regular process reviews are essential for judicial accountability: न्यायिक जवाबदेही हेतु स्वतंत्र निगरानी, पारदर्शी परिसंपत्ति घोषणा और नियमित कार्यप्रणाली समीक्षा जरूरी

Towards 2047: Self-reliant India through biodiversity: 2047 की ओर: जैव विविधता के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत

Towards 2047: Self-reliant India through biodiversity: 2047 की ओर: जैव विविधता के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत

By using our site, you agree to our Terms & Conditions and Disclaimer     Dismiss