दुनिया की बदलती कूटनीतिक तस्वीर के बीच रूस और पाकिस्तान के बीच हुआ 2.6 अरब डॉलर का मेगा करार भारत के लिए एक नई चिंता का विषय बन गया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बीच हुई इस रणनीतिक साझेदारी को विशेषज्ञ दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में संभावित बदलाव के रूप में देख रहे हैं।
करार की प्रमुख बातें
रूस और पाकिस्तान के बीच हुए इस बहु-क्षेत्रीय समझौते में ऊर्जा, व्यापार, रक्षा तकनीक और अधोसंरचना विकास जैसे अहम पहलुओं को शामिल किया गया है। इस करार के तहत:
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पाकिस्तान को रियायती दरों पर तेल और गैस की आपूर्ति होगी,
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रूसी कंपनियाँ पाकिस्तान में ऊर्जा संयंत्र और पाइपलाइन विकसित करेंगी,
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रक्षा क्षेत्र में प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग भी प्रस्तावित है।
इस समझौते की घोषणा ऐसे समय में हुई है जब भारत और रूस के पारंपरिक रिश्ते नई चुनौतियों से गुजर रहे हैं।
भारत की रणनीतिक दुविधा
भारत और रूस दशकों से घनिष्ठ सहयोगी रहे हैं, विशेषकर रक्षा क्षेत्र में। लेकिन हाल के वर्षों में भारत के अमेरिका, फ्रांस और इज़रायल जैसे देशों के साथ बढ़ते सहयोग और रूस के चीन-पाकिस्तान के प्रति रुझान ने रिश्तों में नई जटिलता पैदा कर दी है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि रूस-पाक गठबंधन मजबूत होता है, तो भारत की उत्तरी सीमा सुरक्षा और ऊर्जा नीति दोनों पर असर पड़ सकता है।
पाकिस्तान को क्यों मिल रहा है समर्थन?
यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों के चलते वह नए व्यापारिक साझेदारों की तलाश में है। पाकिस्तान, जो आर्थिक संकट से जूझ रहा है, रूस के लिए एक उभरता हुआ बाजार बन सकता है। इसके अलावा, रूस चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट में पाकिस्तान की भूमिका को रणनीतिक रूप से अहम मानता है।
रूस और पाकिस्तान के बीच हुआ यह 2.6 अरब डॉलर का करार भारत के लिए राजनयिक चेतावनी है। आने वाले समय में भारत को अपनी विदेश नीति में लचीलापन और संतुलन दोनों बनाए रखना होगा ताकि वह अपनी सामरिक स्थिति को कमजोर न होने दे।