उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में शुक्रवार को कोर्ट का अहम फैसला आया। न्यायालय ने मुख्य अभियुक्त पुलकित आर्य सहित तीनों दोषियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है। अदालत ने कहा कि तीनों दोषियों पर लगे आरोप गंभीर हैं और उनके लिए उम्रकैद की सज़ा ही उपयुक्त है।
हालांकि, कोर्ट के इस फैसले के बावजूद पीड़िता के परिजन पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। अंकिता के माता-पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "हमें न्याय तो मिला, लेकिन अधूरा। हमारी बेटी को जिस निर्दयता से मारा गया, उसके लिए फांसी की सज़ा अपेक्षित थी।"
क्या है पूरा मामला?
सितंबर 2022 में अंकिता भंडारी का शव ऋषिकेश के पास चिल्ला नहर से बरामद हुआ था। वह एक रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम कर रही थी। जांच में खुलासा हुआ कि रिसॉर्ट मालिक पुलकित आर्य – जो एक पूर्व भाजपा नेता का बेटा है – ने अंकिता पर अवैध दबाव बनाया था। जब उसने विरोध किया, तो उसे नहर में धक्का देकर हत्या कर दी गई।
इस मामले ने उस समय पूरे राज्य और देश में आक्रोश फैला दिया था। स्थानीय लोगों से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक इस मुद्दे पर प्रदर्शन हुए। उत्तराखंड सरकार को भी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, जिसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने SIT का गठन किया।
अदालत का रुख
शुक्रवार को कोटद्वार की विशेष अदालत ने सुनवाई पूरी कर तीनों दोषियों – पुलकित आर्य, अंकित गुप्ता और सौरभ भारती – को उम्रकैद की सज़ा सुनाई। साथ ही, प्रत्येक पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
जनता की प्रतिक्रिया
फैसले के बाद सोशल मीडिया पर दो तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोगों ने कोर्ट के निर्णय को 'कानूनी प्रक्रिया की जीत' बताया, जबकि अन्य ने सवाल उठाए कि क्या यह सज़ा अपराध की गंभीरता के अनुरूप है।
अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम जरूर है, लेकिन परिजनों और समाज की नज़र में इंसाफ़ की तस्वीर अभी भी अधूरी है।