अफ्रीकी महाद्वीप के सबसे बड़े देशों में शामिल नाइजीरिया इन दिनों भीषण बाढ़ की चपेट में है। देश के कई हिस्सों में लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। आपदा प्रबंधन एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 111 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोग बेघर होकर राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हो गए हैं।
सूखे से बाढ़ तक की त्रासदी
नाइजीरिया के उत्तरपूर्वी और मध्यवर्ती क्षेत्रों में बीते कई वर्षों से सूखे की मार झेल रहे लोग अब बाढ़ की विभीषिका से गुजर रहे हैं। यह स्थिति तब पैदा हुई जब सूखाग्रस्त इलाकों में अचानक भारी बारिश होने लगी, जिससे नदियां उफान पर आ गईं और कई बांधों का जलस्तर खतरनाक स्तर को पार कर गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण मौसम चक्रों में असंतुलन बढ़ रहा है। जो क्षेत्र कभी पानी की कमी से जूझते थे, अब वहां एक साथ कई महीनों की वर्षा कुछ ही दिनों में हो रही है, जिससे ऐसी आपदाएं उत्पन्न हो रही हैं।
प्रभावित राज्य और तबाही का स्वरूप
बाढ़ का सबसे भीषण असर नाइजर, कडुना, बेनुए, अदमावा, टाराबा और प्लाटू राज्यों में देखा गया है। खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं, सैकड़ों मकान ढह गए और सड़कों-पुलों का संपर्क टूट गया है। नाइजीरिया की नेशनल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी (NEMA) ने बताया कि अब तक लगभग 50,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, जबकि दर्जनों लोग लापता हैं।
बाढ़ से न केवल मानव जीवन प्रभावित हुआ है, बल्कि पशुधन, कृषि और जल आपूर्ति व्यवस्था भी पूरी तरह चरमरा गई है। इससे देश में खाद्य संकट और आर्थिक अस्थिरता का खतरा और बढ़ गया है।
सरकार की प्रतिक्रिया और चुनौतियाँ
नाइजीरिया सरकार ने राष्ट्रीय आपदा घोषित कर प्रभावित राज्यों में राहत कार्य तेज़ करने के निर्देश दिए हैं। सेना, आपदा प्रबंधन एजेंसियां और स्वास्थ्यकर्मी राहत कार्यों में जुटे हैं। हालांकि, कई क्षेत्रों में सड़क मार्ग बाधित होने और बिजली-पानी की आपूर्ति ठप होने के कारण राहत पहुंचाना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
विशेषज्ञ यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि यदि मौसम की स्थिति नहीं सुधरी, तो संक्रमण फैलने और जलजनित बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।
वैश्विक चिंता का विषय
नाइजीरिया की यह आपदा केवल एक देश की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के वैश्विक संकट की स्पष्ट चेतावनी भी है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल्द ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो ऐसे हालात दुनिया के अन्य हिस्सों में भी देखने को मिल सकते हैं।
नाइजीरिया की बाढ़ त्रासदी एक भयावह मानवीय संकट में बदल चुकी है। यह घटना वैश्विक समुदाय को यह सोचने पर मजबूर करती है कि जलवायु परिवर्तन अब भविष्य की नहीं, बल्कि वर्तमान की वास्तविकता बन चुका है – और इससे निपटने के लिए हमें सामूहिक व तत्काल कदम उठाने होंगे।