उत्तर भारत के विभिन्न शहरों में कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ ने कई स्थानों पर उपद्रव मचाया, जिससे स्थानीय व्यापारियों में भारी रोष व्याप्त है। कहीं गाड़ियों के शीशे तोड़े गए तो कहीं दुकानों में तोड़फोड़ की गई। कई जगहों पर पुलिस मूकदर्शक बनी रही, जिससे व्यापारियों में असुरक्षा की भावना गहराती जा रही है।
दिल्ली, मेरठ, मुजफ्फरनगर, हरिद्वार और गाजियाबाद जैसे इलाकों में हालात विशेष रूप से तनावपूर्ण रहे। दुकानदारों का कहना है कि धार्मिक यात्रा के नाम पर कानून तोड़ने की छूट नहीं दी जा सकती। एक दुकानदार ने नाराजगी जताते हुए कहा, "हम व्यापार करने के लिए दुकानें खोलते हैं, उत्पात झेलने के लिए नहीं। प्रशासन अगर चुप रहेगा तो अब व्यापारी खुद सड़कों पर उतरेंगे।"
कई जगहों पर नुकसान
मेरठ में कांवड़ यात्रा के दौरान कुछ युवकों ने एक होटल में घुसकर तोड़फोड़ की, जब होटल मालिक ने तेज संगीत की शिकायत की। वहीं गाजियाबाद में एक पान की दुकान में मामूली कहासुनी के बाद उत्पातियों ने पूरी दुकान को तहस-नहस कर दिया। पुलिस की मौजूदगी के बावजूद कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई।
प्रशासन पर उठे सवाल
स्थानीय व्यापारी संगठनों का कहना है कि प्रशासन केवल भीड़ को काबू में रखने की औपचारिकता निभा रहा है। “हर साल ऐसा होता है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जाता,” एक व्यापारी नेता ने कहा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो व्यापारी वर्ग सामूहिक रूप से विरोध प्रदर्शन करेगा।
धार्मिक आस्था बनाम कानून व्यवस्था
यह मामला एक बार फिर उस संतुलन को लेकर सवाल खड़ा करता है जहां धार्मिक आस्था और सार्वजनिक अनुशासन के बीच टकराव होता है। श्रद्धालुओं को सुविधा देना आवश्यक है, लेकिन यह सुनिश्चित करना भी उतना ही जरूरी है कि आम नागरिकों और व्यापारियों की सुरक्षा प्रभावित न हो।