देश के विभिन्न हिस्सों में मानसून ने अपना प्रचंड रूप धारण कर लिया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने चेतावनी जारी करते हुए बताया है कि आने वाले तीन से चार दिनों तक उत्तर-पश्चिम भारत, दक्षिणी प्रायद्वीपीय क्षेत्र और पूर्वोत्तर राज्यों में मूसलाधार बारिश जारी रहने की संभावना है। इस दौरान कई राज्यों में बाढ़, भूस्खलन और जलभराव जैसे हालात बन सकते हैं, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
उत्तर-पश्चिम भारत में अलर्ट
राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर में भारी से बहुत भारी वर्षा के आसार हैं। दिल्ली में बीते 24 घंटों के दौरान हुई तेज बारिश के कारण कई इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई है। मौसम विभाग ने इन राज्यों में रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, साथ ही निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
दक्षिण भारत में सक्रिय मानसून
केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में मानसून की सक्रियता से भारी बारिश हो रही है। कई जिलों में स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया है। केरल के इडुक्की और वायनाड जिलों में भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। राज्य सरकार ने राहत और बचाव दलों को अलर्ट पर रखा है।
पूर्वोत्तर राज्यों में स्थिति गंभीर
असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में लगातार हो रही बारिश के कारण नदियां उफान पर हैं। कई जगहों पर पुल टूटने और सड़कों के कटाव की घटनाएं सामने आई हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एनडीआरएफ की टीमों को तैनात किया गया है।
IMD की चेतावनी
IMD ने कहा है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी युक्त हवाएं इन क्षेत्रों में भारी वर्षा को बढ़ावा दे रही हैं। अगले 72 घंटों तक मौसम की यह स्थिति बनी रह सकती है। लोगों को गैर-जरूरी यात्राओं से बचने, बिजली उपकरणों से दूरी बनाए रखने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है।
भारत के कई हिस्सों में भारी बारिश से आपातकाल जैसे हालात बनते जा रहे हैं। ऐसे में सतर्कता ही सुरक्षा है। मौसम विभाग और प्रशासन द्वारा जारी अलर्ट को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है।
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हिमाचल प्रदेश एक बार फिर भारी बारिश की चपेट में आ गया है। प्रदेश के कई जिलों में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। बारिश के चलते 266 से अधिक सड़कें बंद हो चुकी हैं, जबकि सरकारी और निजी संपत्तियों को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
भूस्खलन ने बढ़ाई मुसीबत
शिमला, कांगड़ा, चंबा, मंडी और कुल्लू जैसे पर्वतीय जिलों में भूस्खलन की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। सड़कों पर मलबा जमा होने से यातायात ठप हो गया है। कई जगहों पर यात्रियों को बीच रास्ते ही अपने वाहन छोड़कर पैदल सफर करना पड़ा।
मंडी जिले में नेशनल हाईवे-3 पर भारी मलबा गिरने से लाहौल-स्पीति और कुल्लू का संपर्क कट गया है। लोक निर्माण विभाग की 100 से अधिक टीमें सड़कों की बहाली में जुटी हुई हैं, लेकिन बारिश के चलते राहत कार्यों में लगातार बाधा आ रही है।
सरकारी संपत्तियों को भारी नुकसान
राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, केवल पिछले तीन दिनों में 100 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को नुकसान पहुंच चुका है। इसमें पुलों के टूटने, भवनों के गिरने, बिजली पोल व ट्रांसफॉर्मर क्षतिग्रस्त होने जैसी घटनाएं शामिल हैं। कई पंचायत भवनों और स्कूलों को भी नुकसान पहुंचा है।
स्कूलों में छुट्टी, प्रशासन अलर्ट पर
बारिश के मद्देनजर कई जिलों में स्कूल-कॉलेजों को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है। वहीं, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी जिलाधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए हैं। NDRF और SDRF की टीमें संवेदनशील इलाकों में तैनात की गई हैं।
मुख्यमंत्री की अपील
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्यवासियों से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में न जाएं। उन्होंने केंद्र सरकार से अतिरिक्त सहायता की मांग भी की है।
हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश जनजीवन के लिए संकट बन चुकी है। राज्य सरकार के सामने बुनियादी सेवाओं की बहाली और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती है। यदि बारिश यूं ही जारी रही, तो नुकसान और बढ़ सकता है।