उत्तरकाशी जिले में आई आपदा ने धराली और हर्षिल के इलाकों को बुरी तरह प्रभावित किया है। मंगलवार देर रात खीरगंगा नदी में आई बाढ़ और तेलगाड में बादल फटने की घटनाओं ने जनजीवन को झकझोर कर रख दिया। धराली गांव में बाढ़ का रौद्र रूप देखने को मिला, जहां वर्षों की मेहनत से बनी संपत्ति पलक झपकते ही मलबे में तब्दील हो गई।
यहां कई होटल और रेस्टोरेंट्स जो लीज पर या निजी रूप से संचालित किए जा रहे थे, पूरी तरह नष्ट हो गए हैं। साथ ही, स्थानीय ग्रामीणों के पुश्तैनी सेब के बागान भी कई हेक्टेयर में तबाह हो गए। आपदा प्रबंधन अधिकारी शार्दुल गुसाईं के अनुसार, वीडियो साक्ष्यों और स्थानीय रिपोर्टों के आधार पर धराली क्षेत्र में लगभग 25 से 30 लोग लापता हैं। वहीं, 20 से अधिक होटल और दुकानें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।
स्थिति इतनी भयावह थी कि चेतावनी देने के लिए गांव वालों ने सीटियां बजाईं, लेकिन जलप्रलय के शोर में सबकुछ दब गया। कई लोग अपने घरों में ही जिंदा दफन हो गए।
उधर हर्षिल में सेना का कैंप बादल फटने की चपेट में आ गया। मलबे के कारण कई सैन्य चौकियां और बंकर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हालांकि, अभी तक किसी जवान की जान जाने की पुष्टि नहीं हुई है।
इस आपदा से मनेरी से आगे की विद्युत लाइन भी टूट गई है, जिससे भटवाड़ी, हर्षिल और गंगोत्री क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति पूरी तरह से ठप हो गई है। प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा हुआ है, लेकिन खराब मौसम और अवरुद्ध रास्ते बचाव कार्यों में बाधा बन रहे हैं।
यह त्रासदी एक बार फिर से हिमालयी क्षेत्रों में बेतरतीब निर्माण, पर्यावरणीय उपेक्षा और जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों की याद दिलाती है।