बिहार में युवाओं के लिए रोजगार का रास्ता अब थोड़ा और आसान हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया, जिसके तहत अब सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। सरकार ने बहुप्रतीक्षित डोमिसाइल नीति को औपचारिक मंजूरी दे दी है।
इस नीति के तहत बिहार में स्थायी रूप से निवास करने वाले युवाओं को राज्य की सरकारी नौकरियों में विशेष वरीयता मिलेगी। यानी जिन युवाओं ने बिहार में पढ़ाई की है और जिनके परिवार राज्य में लंबे समय से रह रहे हैं, उन्हें भर्ती प्रक्रिया में प्राथमिकता मिलेगी। इससे ना सिर्फ स्थानीय युवाओं को लाभ होगा, बल्कि बिहार से "ब्रेन ड्रेन" की समस्या पर भी कुछ हद तक अंकुश लग सकेगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्पष्ट किया है कि यह फैसला युवाओं के भविष्य को सुरक्षित करने और राज्य के आर्थिक-सामाजिक विकास को गति देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि "हमारे युवाओं को अपनी ही भूमि पर अवसर मिलें, यही इस नीति का उद्देश्य है।"
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह निर्णय लंबे समय से बिहार के युवाओं की मांग रहा है। राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं और रोजगार की कमी के चलते बड़ी संख्या में छात्र अन्य राज्यों की ओर रुख करते हैं। अब स्थानीय छात्रों को नौकरियों में बढ़त मिलने से राज्य के अंदर ही अवसरों का सृजन होगा।
हालांकि विपक्ष ने इस नीति को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं और इसे "चुनावी लाभ" से जोड़ने की कोशिश भी की है, लेकिन आम लोगों और छात्र संगठनों ने इस पहल का स्वागत किया है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस नीति का क्रियान्वयन कितनी पारदर्शिता और प्रभावशीलता के साथ किया जाता है।