अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मी के बीच रिपब्लिकन पार्टी के भीतर ही टैरिफ नीति को लेकर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दोबारा टैरिफ वार की रणनीति अपनाने के संकेत दिए जाने के बाद पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व संयुक्त राष्ट्र राजदूत निक्की हेली ने खुलकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अत्यधिक टैरिफ लगाकर अमेरिका को वैश्विक व्यापारिक मंच पर अलग-थलग न करें और महत्वपूर्ण साझेदारों से रिश्ते न बिगाड़ें।
निक्की हेली ने ट्रंप की नीतियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि टैरिफ के ज़रिए घरेलू कंपनियों को राहत देने की कोशिश से अमेरिका की दीर्घकालिक आर्थिक स्थिति को नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा, "हम दुनिया से व्यापारिक दीवारें खड़ी करके खुद को मजबूत नहीं कर सकते। हमें सहयोग की नीति अपनानी चाहिए, न कि टकराव की।"
ट्रंप ने हाल ही में संकेत दिए थे कि यदि वे दोबारा सत्ता में आते हैं तो वे चीन समेत अन्य देशों से आयात पर अधिकतम टैरिफ लगाएंगे ताकि अमेरिकी उत्पादों को बढ़ावा मिल सके। ट्रंप की इस नीति को "अमेरिका फर्स्ट" एजेंडे के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन आलोचक इसे "अमेरिका इज़ोलेशन" कहकर नकारात्मक बताते हैं।
निक्की हेली ने स्पष्ट कहा कि व्यापार नीति में आक्रामक रुख से न केवल वैश्विक संबंध खराब होंगे बल्कि घरेलू उपभोक्ताओं को भी महंगाई का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने ट्रंप समर्थकों को चेताते हुए कहा कि "देश को चुनावी नफे के लिए आर्थिक जोखिम में डालना समझदारी नहीं है।"
इस बयान के बाद रिपब्लिकन पार्टी के भीतर विचारधारा की खाई और गहरी हो गई है। जहां एक ओर ट्रंप समर्थक टैरिफ को 'आत्मनिर्भर अमेरिका' की रीढ़ बता रहे हैं, वहीं हेली जैसे नेता इसे वैश्विक नेतृत्व में गिरावट के रूप में देख रहे हैं।
चुनावी माहौल में यह मुद्दा न सिर्फ अमेरिका की आर्थिक दिशा को तय करेगा, बल्कि यह भी बताएगा कि रिपब्लिकन पार्टी किस विचारधारा को प्राथमिकता देती है – टकराव या सहयोग।