राजस्थान, जिसे अक्सर सूखे और पानी की कमी के लिए जाना जाता है, इस बार अभूतपूर्व बारिश का सामना कर रहा है। मानसून सीजन में अब तक औसत से 177% ज्यादा वर्षा रिकॉर्ड की गई है। हालात ऐसे हैं कि कई जिलों में नदियां उफान पर हैं और 18 डैम ओवरफ्लो हो चुके हैं।
बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त
राज्य के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और जालौर जैसे पश्चिमी जिले, जहां सामान्यतः पानी के लिए तरसना पड़ता है, वहां सड़कों पर बाढ़ जैसे हालात हैं। कई गांवों का संपर्क कट गया है। राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए गए हैं। प्रशासन ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए टीमें तैनात कर दी हैं।
डैम और नदियां उफान पर
राज्य के प्रमुख जलाशयों में पानी खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। 18 डैम ओवरफ्लो होने से निचले क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। जवाई, बाना और गोमती नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जल संसाधन विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए लोगों को सावधानी बरतने की अपील की है।
कृषि पर भी असर
भारी बारिश का असर खेती पर भी देखने को मिल रहा है। जहां एक ओर किसान शुरू में अच्छी बारिश से खुश थे, वहीं अब जलभराव से फसलें खराब होने का खतरा मंडरा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो खरीफ सीजन की पैदावार पर असर पड़ेगा।
सरकार की तैयारियां और चेतावनी
राज्य सरकार ने सभी जिला कलेक्टरों को हाई अलर्ट पर रखा है। आपदा प्रबंधन दलों को प्रभावित इलाकों में भेजा जा रहा है। मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में भी तेज बारिश की संभावना जताई है, खासकर दक्षिण-पश्चिमी और पश्चिमी जिलों में।
क्यों बढ़ी इतनी बारिश?
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से लगातार नमी आ रही है, जिससे मानसून सिस्टम सक्रिय बना हुआ है। इसके चलते राजस्थान जैसे शुष्क राज्य में भी रिकॉर्ड तोड़ बारिश हो रही है।
रेगिस्तान में बारिश राहत का संदेश लाती है, लेकिन जब यह सीमा पार कर जाए तो संकट का कारण भी बन जाती है। राजस्थान के मौजूदा हालात इसी सच्चाई को बयां कर रहे हैं।