गाजा में जारी संघर्ष एक बार फिर भयावह मोड़ पर पहुंच गया है। सोमवार देर रात इजरायल ने गाजा सिटी के एक अस्पताल को निशाना बनाते हुए मिसाइलें दागीं। इस हमले में 19 लोगों की मौत हो गई, जिनमें चार पत्रकार भी शामिल हैं। मरने वालों में डॉक्टर और मरीज भी बताए जा रहे हैं। यह हमला ऐसे समय में हुआ जब गाजा के कई हिस्सों में लगातार बमबारी और हवाई हमलों से हालात पहले ही बिगड़ चुके हैं।
पत्रकारों पर बढ़ता खतरा
इस हमले के साथ ही गाजा युद्ध में मारे गए पत्रकारों की संख्या बढ़कर 240 हो गई है। प्रेस संगठनों ने इसे मीडिया की स्वतंत्रता और मानवता पर हमला करार दिया है। अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार महासंघ ने संयुक्त राष्ट्र से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा कि हालात बेहद गंभीर हैं और पत्रकारों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है।
इजरायल का दावा और गाजा का आरोप
इजरायली सेना का कहना है कि उसने हमले में अस्पताल को सीधे निशाना नहीं बनाया, बल्कि यह ‘सैन्य ठिकाने’ पर कार्रवाई थी। वहीं, गाजा प्रशासन ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि अस्पताल में सिर्फ मरीज और डॉक्टर मौजूद थे। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हमले के बाद कई लोग घायल हैं और मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।
दुनिया भर में आक्रोश
अस्पताल पर मिसाइल हमला सामने आते ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कड़ी प्रतिक्रिया शुरू हो गई है। यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र ने इस घटना की निंदा की और युद्ध अपराध की आशंका जताते हुए जांच की मांग की है। अमेरिका और तुर्की समेत कई देशों ने कहा कि नागरिकों और पत्रकारों को निशाना बनाना अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है।
मानवाधिकार संगठनों का रुख
एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि गाजा में हालात बदतर होते जा रहे हैं। अस्पतालों और मीडिया कर्मियों पर हमले से संकेत मिलता है कि संघर्ष के नियमों का पालन नहीं हो रहा। दोनों संगठनों ने इसे गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराध बताया।
गाजा की मौजूदा स्थिति
गाजा में पिछले कई महीनों से लगातार बमबारी हो रही है। बिजली, पानी और दवाइयों की भारी किल्लत के बीच लोग अस्पतालों में शरण लेने को मजबूर हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि गाजा में मानवीय संकट अपनी चरम सीमा पर है।
अस्पताल पर हमला और पत्रकारों की लगातार हो रही मौतें इस युद्ध को और भी खतरनाक बना रही हैं। सवाल उठता है कि अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद हिंसा कब थमेगी और गाजा में मासूमों की जान बचाने के लिए दुनिया कब ठोस कदम उठाएगी?