मध्य पूर्व में तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। यमन के हूती विद्रोहियों ने क्लस्टर मिसाइलों के जरिए इजरायल के बहुस्तरीय एयर डिफेंस सिस्टम को चुनौती देते हुए गंभीर खामियां उजागर कर दी हैं। यह हमला ऐसे समय में हुआ जब इजरायल अपनी सीमाओं पर सुरक्षा को लेकर पहले से सतर्क था। रिपोर्टों के अनुसार, इन मिसाइलों ने इजरायल के एरो और आयरन डोम सिस्टम को विफल कर दिया, जिसके बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सुरक्षा समीक्षा के लिए आपात बैठक बुलाई।
सूत्रों के मुताबिक, हूती विद्रोहियों ने हाल ही में ऐसी क्लस्टर मिसाइल तकनीक हासिल की है, जो पारंपरिक इंटरसेप्शन सिस्टम को धोखा देने में सक्षम है। इन मिसाइलों को छोटे-छोटे गोले में विभाजित किया गया, जिससे आयरन डोम जैसे डिफेंस सिस्टम के लिए सभी लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक और नष्ट करना मुश्किल हो गया। इससे इजरायल के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में कई चेतावनी अलर्ट जारी किए गए। हालांकि, इजरायल ने कहा कि बड़े पैमाने पर नुकसान नहीं हुआ, लेकिन हमले की गंभीरता ने सुरक्षा ढांचे पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इजरायल की रणनीतिक चुनौती
इजरायल का बहुस्तरीय एयर डिफेंस सिस्टम दुनिया में सबसे उन्नत माना जाता है। इसमें एरो मिसाइल सिस्टम लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइलों को इंटरसेप्ट करता है, जबकि आयरन डोम शॉर्ट-रेंज रॉकेट्स और आर्टिलरी को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। इसके अलावा डेविड्स स्लिंग सिस्टम मीडियम रेंज खतरों को कवर करता है। लेकिन हूतियों के हमले से साबित हुआ कि असममित युद्ध तकनीक, जिसमें सस्ते और बहुआयामी हथियारों का इस्तेमाल होता है, हाई-टेक सिस्टम के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर सकती है।
क्षेत्रीय और वैश्विक असर
विशेषज्ञों का कहना है कि यह हमला न केवल इजरायल के लिए बल्कि पूरे पश्चिम एशिया की सुरक्षा संतुलन के लिए एक बड़ा संकेत है। इससे ईरान की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि हूती विद्रोही लंबे समय से ईरानी समर्थन का दावा करते रहे हैं। अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने इस घटना पर चिंता जताई है, क्योंकि यह स्थिति क्षेत्रीय युद्ध को और भड़का सकती है।
इजरायल की प्रतिक्रिया
हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने सुरक्षा अधिकारियों के साथ बैठक की और डिफेंस सिस्टम को अपग्रेड करने के निर्देश दिए। सेना ने भी तैनाती बढ़ाने और अतिरिक्त तकनीक अपनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में इजरायल को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित इंटरसेप्शन और लेजर तकनीक पर अधिक निवेश करना होगा, ताकि इस तरह के क्लस्टर हमलों का मुकाबला किया जा सके।
यह हमला साफ संकेत देता है कि आधुनिक युद्ध में केवल हाई-टेक हथियार ही नहीं, बल्कि अप्रत्याशित रणनीतियां भी निर्णायक साबित हो सकती हैं।