दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई मेट्रो शहरों में किराया बढ़ोतरी ने यात्रियों की जेब पर बड़ा असर डाला है। सोमवार को लागू हुए नए किराया ढांचे के बाद आम लोग सोशल मीडिया से लेकर स्टेशनों तक गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। कई यात्रियों ने तंज कसते हुए कहा कि अब मेट्रो की सवारी टिकट नहीं, बल्कि ईएमआई चुकाने जैसी लग रही है।
किराया बढ़ोतरी से नाराजगी चरम पर
दिल्ली मेट्रो का न्यूनतम किराया अब 15 रुपये से बढ़कर 20 रुपये और अधिकतम किराया 60 रुपये से बढ़कर 80 रुपये हो गया है। कई कॉरपोरेट और आईटी हब से जुड़ने वाले रूट्स पर किराया 30-40% तक बढ़ गया है। यात्रियों का कहना है कि रोजाना के सफर पर अब उन्हें पहले से 1,500 से 2,000 रुपये ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
सोशल मीडिया पर मीम्स और गुस्सा
किराया बढ़ोतरी की खबर के बाद ट्विटर (X) और इंस्टाग्राम पर मीम्स की बाढ़ आ गई। कई लोगों ने लिखा, “अब मेट्रो में बैठने से पहले लोन अप्रूवल चाहिए”, जबकि कुछ ने कहा, “इस रफ्तार से तो अगली बार टिकट के लिए KYC करनी पड़ेगी।”
ऑफिस जाने वालों पर सीधा असर
किराया बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा असर ऑफिस जाने वाले यात्रियों पर पड़ा है। आईटी प्रोफेशनल्स और सरकारी कर्मचारी बता रहे हैं कि मासिक खर्चा 3,000 से 4,000 रुपये तक पहुंच गया है। कुछ ने कैब या शेयरिंग ऑटो का विकल्प तलाशना शुरू कर दिया है।
मेट्रो प्रशासन की सफाई
दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) का कहना है कि बिजली, रखरखाव और स्टाफ सैलरी में भारी बढ़ोतरी के चलते किराया बढ़ाना जरूरी हो गया था। DMRC ने दावा किया कि मेट्रो अब भी अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट की तुलना में सस्ती और समय की बचत करने वाली सेवा है।
क्या विकल्प हैं यात्रियों के पास?
विशेषज्ञों का मानना है कि किराया बढ़ोतरी से कारपूलिंग और बस सर्विस की मांग बढ़ सकती है। हालांकि, ट्रैफिक और प्रदूषण के कारण लंबी दूरी की यात्राओं के लिए मेट्रो अभी भी सबसे बेहतर विकल्प है।
महंगाई के इस दौर में मेट्रो किराए में बढ़ोतरी ने लाखों यात्रियों को झटका दिया है। सवाल यह है कि सुविधा और सस्टेनेबिलिटी के बीच आम आदमी कब तक समझौता करेगा?