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संपादकीय

Centre's Diwali gift: 4 railway projects approved, benefiting 85 lakh people and creating employment for thousands: केंद्र का दीवाली तोहफा: 4 रेल परियोजनाओं को मंजूरी, 85 लाख लोगों को लाभ व हजारों को रोजगार

October 07, 2025 06:17 PM

भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़    

त्योहारी सीजन में केंद्र सरकार ने देश की जनता को बड़ा “दीवाली तोहफा” दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में चार बड़ी मल्टी-ट्रैकिंग रेलवे परियोजनाओं को मंजूरी दे दी गई। इन परियोजनाओं पर कुल ₹24,634 करोड़ की लागत आएगी और इससे करीब 85.84 लाख की आबादी को सीधा लाभ मिलेगा। सरकार का दावा है कि ये परियोजनाएं न केवल रेलवे के ढांचे को मजबूत करेंगी, बल्कि रोजगार, पर्यटन और व्यापार के क्षेत्र में भी नए अवसर खोलेंगी। ये चारों योजनाएं “पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान” के तहत लागू होंगी, जिसका उद्देश्य देशभर में परिवहन नेटवर्क को एकीकृत और कुशल बनाना है। सरकार द्वारा स्वीकृत चार रेल परियोजनाएं महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लागू होंगी। इनमें कई जिलों और 3,600 से अधिक गांवों की सीधी भागीदारी होगी। वर्धा–भुसावल (महाराष्ट्र): लगभग 314 किलोमीटर लंबी इस परियोजना के तहत तीसरी और चौथी रेल लाइन बिछाई जाएगी। यह मार्ग कोयला और औद्योगिक वस्तुओं के परिवहन के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। गोंदिया–डोंगरगढ़ (महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़): 84 किलोमीटर लंबी इस परियोजना से दोनों राज्यों के बीच माल और यात्री ट्रेनों की गति बढ़ेगी। वडोदरा–रतलाम (गुजरात–मध्य प्रदेश): लगभग 259 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर तीसरी और चौथी लाइन के निर्माण से पश्चिम भारत की कनेक्टिविटी और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। इतारसी–भोपाल–बीना (मध्य प्रदेश): 237 किलोमीटर लंबे इस रेलखंड की चौथी लाइन मध्य भारत के हृदयस्थल को जोड़ते हुए यात्रियों की सुविधा बढ़ाएगी। इन चारों परियोजनाओं के पूरा होने के बाद रेलवे नेटवर्क में लगभग 894 किलोमीटर का विस्तार होगा। इससे रेल संचालन की दक्षता बढ़ेगी और यात्रियों को अधिक सुरक्षित, तेज और समयबद्ध यात्रा का अनुभव मिलेगा। रेल मंत्रालय के अनुसार, इन परियोजनाओं का लाभ 18 जिलों के 3,633 गांवों को सीधे तौर पर मिलेगा, जिनकी कुल जनसंख्या लगभग 85.84 लाख है। इनमें से दो जिले — विदिशा (मध्य प्रदेश) और राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) — देश के “आकांक्षी जिलों” में शामिल हैं। इन इलाकों में रेलवे नेटवर्क के विस्तार से रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और बाजार तक पहुंच में तेजी आएगी। परियोजनाओं के निर्माण के दौरान हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। रेलवे मंत्रालय के मुताबिक, निर्माण कार्य में बड़ी संख्या में स्थानीय मजदूर, इंजीनियर, ठेकेदार और सामग्री आपूर्तिकर्ता शामिल होंगे। इससे छोटे उद्योगों और सेवा क्षेत्र में आर्थिक गतिविधि बढ़ेगी। परियोजनाएं पूरी होने के बाद रेलवे परिचालन में सुधार से लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी। यह न केवल औद्योगिक उत्पादन को सस्ता बनाएगा, बल्कि देश की प्रतिस्पर्धा क्षमता को भी बढ़ाएगा। रेल नेटवर्क के विस्तार से जहां सड़क यातायात का दबाव कम होगा, वहीं ईंधन की बचत और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। इससे पर्यावरणीय संतुलन को मदद मिलेगी। इसके साथ ही, सांची, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, भीमबेटका और नावेगांव नेशनल पार्क जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों तक पहुंच आसान होगी। यह पर्यटन उद्योग और स्थानीय व्यवसायों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा। मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं से कोयला, सीमेंट, स्टील, उर्वरक और कंटेनर माल की ढुलाई क्षमता में भारी वृद्धि होगी। अनुमान है कि इन लाइनों से प्रति वर्ष करीब 78 मिलियन टन अतिरिक्त माल ढुलाई संभव होगी। इससे न केवल रेलवे की आमदनी बढ़ेगी बल्कि बंदरगाहों और औद्योगिक नगरों तक कच्चे माल की आपूर्ति में भी तेजी आएगी। विशेष रूप से वडोदरा-रतलाम और वर्धा-भुसावल मार्ग औद्योगिक गलियारों से जुड़ने के कारण रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। फायदों के साथ साथ अब बात करते हैं चुनौतियां की। हालांकि, इन परियोजनाओं के क्रियान्वयन में कई चुनौतियां सामने आ सकती हैं। भूमि अधिग्रहण: स्थानीय विरोध और कानूनी जटिलताएं भूमि अधिग्रहण को धीमा कर सकती हैं। समय और लागत नियंत्रण: पिछले अनुभव बताते हैं कि कई रेलवे परियोजनाएं तय समय सीमा से आगे बढ़ जाती हैं, जिससे लागत में बढ़ोतरी होती है। पर्यावरणीय अनुमति: कुछ हिस्से पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों से गुजरते हैं, जहां निर्माण के दौरान पर्यावरणीय मानकों का कड़ाई से पालन करना आवश्यक होगा। सरकार को चाहिए कि वह इन सभी परियोजनाओं के लिए स्पष्ट निगरानी तंत्र और पारदर्शी रिपोर्टिंग सिस्टम तैयार करे, ताकि न केवल काम समय पर पूरा हो बल्कि गुणवत्ता भी सुनिश्चित रहे। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में शुरू की गई पीएम गति शक्ति योजना का उद्देश्य रेल, सड़क, बंदरगाह, हवाई मार्ग और लॉजिस्टिक नेटवर्क को एक प्लेटफॉर्म पर लाना है, ताकि परिवहन प्रणाली “वन नेशन, वन नेटवर्क” की भावना के अनुरूप काम कर सके। इन चार परियोजनाओं की स्वीकृति उसी व्यापक दृष्टिकोण का हिस्सा है। इसका लक्ष्य है कि भारत अगले दशक में न केवल एक मजबूत घरेलू रेल नेटवर्क विकसित करे, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन का एक केंद्रीय केंद्र बने। त्योहारी माहौल में जब लोग अपने घरों को रोशनी से सजाने की तैयारी में हैं, केंद्र सरकार ने देश को “विकास की रोशनी” देने वाला निर्णय लिया है। ये चार रेल परियोजनाएं केवल बुनियादी ढांचे का विस्तार नहीं, बल्कि नए भारत की विकास गति का प्रतीक हैं। यदि समयबद्धता, पारदर्शिता और पर्यावरणीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए इन योजनाओं को लागू किया गया, तो यह सिर्फ “दीवाली का तोहफा” नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थायी संपत्ति साबित होगी। इन परियोजनाओं से मिलने वाला सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ देश को आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और ठोस कदम आगे बढ़ाएगा।

 

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