भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
भारत तेजी से डिजिटल परिवर्तन की दिशा में बढ़ रहा है, और इस परिवर्तन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा नागरिकों का पहचान तंत्र और अंतरराष्ट्रीय यात्रा व्यवस्था है। डिजिटल इंडिया अभियान के तहत अब सरकार ई-पासपोर्ट की ओर कदम बढ़ा रही है, जो न केवल सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ी छलांग है, बल्कि भारतीय यात्रियों के लिए सुविधा और भरोसे का नया युग भी लेकर आएगा। ई-पासपोर्ट एक ऐसा आधुनिक दस्तावेज़ है जो अपने छोटे से आकार में अपार तकनीकी क्षमता छिपाए हुए है, इसलिए इसे सही मायने में “गागर में सागर” कहा जा सकता है। ई-पासपोर्ट दिखने में पारंपरिक पासपोर्ट जैसा ही होता है, लेकिन इसके भीतर लगी माइक्रोचिप इसे अत्याधुनिक और सुरक्षित बनाती है। इस चिप में पासपोर्ट धारक की बायोमेट्रिक जानकारी—जैसे फिंगरप्रिंट, चेहरे की पहचान और अन्य डिजिटल विवरण—एन्क्रिप्टेड रूप में संग्रहित रहती है। यह पूरी व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के मानकों के अनुरूप होती है, जिससे यह विश्व के लगभग सभी आधुनिक हवाई अड्डों पर आसानी से स्कैन की जा सकती है। पारंपरिक पासपोर्ट की तुलना में यह तकनीक पहचान की विश्वसनीयता को कई गुना बढ़ाती है और फर्जी दस्तावेज़ों की समस्या को लगभग समाप्त कर देती है।आज के दौर में सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है। नकली पासपोर्ट, अवैध आव्रजन, पहचान चोरी और मानव तस्करी जैसे अपराध सोच से भी अधिक बढ़ चुके हैं। कागजी पासपोर्ट में बदलाव करना या उसकी नकल तैयार करना अपेक्षाकृत आसान होता है, जिसके कारण कई बार सुरक्षा एजेंसियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन ई-पासपोर्ट की चिप आधारित संरचना इस खतरे को काफी हद तक खत्म कर देती है, क्योंकि किसी भी तरह की छेड़छाड़ या डेटा परिवर्तन तकनीकी रूप से लगभग असंभव है। चिप में लगे डिजिटल सिग्नेचर और एन्क्रिप्शन फीचर्स किसी भी प्रकार के अवैध बदलाव को तुरंत पकड़ लेते हैं। यह व्यवस्था भारत की सुरक्षा प्रणाली को वैश्विक स्तर पर मजबूती प्रदान करती है।इसके साथ-साथ ई-पासपोर्ट यात्रियों के लिए सुविधा भी लेकर आता है। आज हवाई अड्डों पर सबसे अधिक समय दस्तावेज़ जांच और इमिग्रेशन प्रक्रिया में ही खर्च हो जाता है। लंबी कतारें, मैनुअल चेकिंग और धीमी प्रक्रिया यात्रियों को थका देती है। ई-पासपोर्ट इस समस्या का समाधान बनकर उभरता है। इसमें मौजूद चिप को मशीनें कुछ सेकंड में स्कैन कर लेती हैं, और बायोमेट्रिक मिलान के बाद यात्री स्वतः इमिग्रेशन पार कर सकता है। इस तरह ई-गेट्स का उपयोग बढ़ेगा और हवाई अड्डों पर भीड़ कम होगी। भारत जैसे विशाल देश में, जहाँ हर साल लाखों लोग विदेश यात्रा करते हैं, यह सुविधा न केवल समय की बचत करेगी बल्कि हवाई अड्डों की कार्यक्षमता भी बढ़ाएगी।ई-पासपोर्ट टेक्नोलॉजी उन्नत होने के बावजूद उपयोग में बेहद सरल है। नागरिक को इसे किसी विशेष तरीके से इस्तेमाल करने की आवश्यकता नहीं होती। यह सामान्य पासपोर्ट जैसा ही लगता है और आसानी से जेब या बैग में रखा जा सकता है। लेकिन इसके अंदर मौजूद चिप इसे एक डिजिटल आईडेंटिटी का रूप देती है, जो इसे साधारण और विशेष—दोनों बनाती है। यही कारण है कि इसे “गागर में सागर” कहना बिल्कुल उचित है। छोटा-सा दस्तावेज़ अपने अंदर इतनी ताकत समेटे है कि यात्रा के पूरे अनुभव को बदल सकता है।इसके अलावा, भारत के लिए यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। दुनिया के कई विकसित देश पहले से ई-पासपोर्ट का उपयोग कर रहे हैं और उन्होंने अपने इमिग्रेशन को डिजिटल रूप में उन्नत किया है। भारत भी अब इस श्रेणी में शामिल होकर वैश्विक यात्रियों की कतार में आधुनिकता और कुशलता का संदेश दे रहा है। इससे भारतीय पासपोर्ट की प्रतिष्ठा बढ़ेगी और भारतीय यात्रियों को अधिक देशों में प्राथमिकता सुविधा प्राप्त होने की संभावनाएँ भी बढ़ेंगी। लंबी अवधि में यह कदम भारत की सॉफ्ट पावर को भी मजबूती प्रदान करेगा।हालाँकि, किसी भी तकनीकी बदलाव की तरह ई-पासपोर्ट शुरू करने में कुछ चुनौतियाँ भी रहेंगी। सबसे महत्वपूर्ण चुनौती डेटा सुरक्षा की है। सरकार को नागरिकों के बायोमेट्रिक डेटा की सुरक्षा के लिए कड़े कानून और मजबूत साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होगा। यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि किसी भी परिस्थिति में नागरिकों की जानकारी का दुरुपयोग न हो। साथ ही ई-पासपोर्ट के उत्पादन के लिए उच्च तकनीक वाली मशीनें, प्रशिक्षित कर्मी और सुरक्षित प्रिंटिंग सुविधाओं की भी आवश्यकता पड़ेगी। नागरिकों को भी इस तकनीक के बारे में जागरूक करना जरूरी है ताकि वे इसे सही प्रकार से संजोकर रखें और किसी समस्या आने पर तुरंत संबंधित विभाग को सूचित कर सकें।इन चुनौतियों के बावजूद ई-पासपोर्ट भारत के भविष्य की यात्रा का स्पष्ट संकेत है। यह न केवल सुरक्षा को नई ऊँचाई देगा बल्कि नागरिकों को तेज, सरल और आधुनिक यात्रा अनुभव प्रदान करेगा। वैश्विक प्रतिस्पर्धा के दौर में ऐसे कदम भारत को तकनीकी रूप से सशक्त और प्रशासनिक रूप से अधिक पारदर्शी देश बनाने में सहायक होते हैं।अंततः कहा जा सकता है कि ई-पासपोर्ट कोई साधारण दस्तावेज़ नहीं, बल्कि भारत की डिजिटल उड़ान का प्रतीक है। यह छोटा सा पासपोर्ट सुरक्षा, गति, वैश्विक मानक और तकनीकी क्षमता को एक साथ समेटे हुए है। आने वाले वर्षों में यह न केवल यात्रियों का जीवन आसान बनाएगा बल्कि देश को डिजिटल विश्व की कतार में और ऊँचे स्थान पर स्थापित करेगा। यही कारण है कि ई-पासपोर्ट वास्तव में “अधिक सुरक्षित और गागर में सागर” साबित होने वाला है—छोटा, सरल, लेकिन अत्यंत शक्तिशाली।