मध्य पूर्व में तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। गाज़ा में जारी संघर्ष और इज़रायल की सैन्य कार्रवाई ने खाड़ी देशों के बीच गहरा असंतोष पैदा कर दिया है। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), क़तर, बहरीन और कुवैत जैसे देशों ने इज़रायल की हालिया कार्रवाई की कड़ी निंदा की है और चेतावनी दी है कि यदि हिंसा नहीं रुकी तो इसके “गंभीर भू-राजनीतिक परिणाम” हो सकते हैं। इससे 2020 में हस्ताक्षरित अब्राहम अकॉर्ड (Abraham Accords) पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
सऊदी अरब की सख्त प्रतिक्रिया
सऊदी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि “इज़रायल को अपनी सैन्य कार्रवाई तत्काल रोकनी चाहिए और नागरिकों पर हमले मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन हैं।” सऊदी नेतृत्व ने इस मुद्दे पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) की आपात बैठक बुलाने की मांग की है। बताया जा रहा है कि रियाद इस संकट के चलते अमेरिका के साथ चल रही इज़रायल-सऊदी शांति वार्ता को अस्थायी रूप से ठंडे बस्ते में डाल सकता है।
यूएई और बहरीन का नाराज़गी भरा रुख
संयुक्त अरब अमीरात, जिसने 2020 में इज़रायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित कर अब्राहम अकॉर्ड पर हस्ताक्षर किए थे, अब खुलकर असंतोष जाहिर कर रहा है। अबू धाबी ने इज़रायल से “अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के पालन” की अपील करते हुए कहा कि गाज़ा में निर्दोष नागरिकों की मौत किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। बहरीन ने भी अपने राजदूत को परामर्श के लिए वापस बुला लिया है और इज़रायल के साथ ऊर्जा और निवेश संबंधों की समीक्षा शुरू कर दी है।
क़तर और कुवैत का सख्त बयान
क़तर, जो लंबे समय से फिलिस्तीनी मुद्दे का समर्थन करता आया है, ने कहा कि “इज़रायल का रवैया पूरे अरब जगत की स्थिरता के लिए खतरा है।” कुवैत ने भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में विशेष सत्र बुलाने की अपील की है।
अब्राहम अकॉर्ड पर संकट के बादल
2020 में अमेरिका की मध्यस्थता से हुए अब्राहम अकॉर्ड को पश्चिम एशिया में स्थायी शांति की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना गया था। लेकिन अब गाज़ा युद्ध ने उस समझौते की नींव हिला दी है। यूएई, बहरीन और मोरक्को जैसे देशों में जनमत इज़रायल के खिलाफ होता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह विरोध और गहराया, तो कई देश अपने राजनयिक संबंध “स्थगित या सीमित” कर सकते हैं।
अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की चिंता
अमेरिका ने इस स्थिति पर चिंता जताई है और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। वाशिंगटन को डर है कि यदि सऊदी अरब और इज़रायल के बीच संबंध सामान्य करने की प्रक्रिया रुक गई, तो यह पूरे क्षेत्र की शांति नीति के लिए बड़ा झटका साबित होगा।
स्पष्ट है कि इज़रायल की सैन्य नीति न केवल गाज़ा में हिंसा को बढ़ा रही है, बल्कि खाड़ी देशों के बीच भरोसे की डोर को भी कमजोर कर रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अब्राहम अकॉर्ड इस भू-राजनीतिक तूफान को झेल पाएगा या इतिहास बनकर रह जाएगा।