दिल्ली-एनसीआर में एक बार फिर हवा का स्तर ‘गंभीर श्रेणी’ में पहुंच गया है। रविवार, 9 नवंबर 2025 को प्रदूषण का स्तर कई इलाकों में 400 से ऊपर दर्ज किया गया, जिससे राजधानी की हवा जहरीली बन गई है। सुबह से ही दिल्ली के ऊपर स्मॉग की मोटी परत छाई रही, जिससे दृश्यता कम और सांस लेना मुश्किल हो गया।
सफर (System of Air Quality and Weather Forecasting and Research) के अनुसार, दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 425 दर्ज किया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक स्तर माना जाता है। आनंद विहार, वजीरपुर, आईटीओ, रोहिणी, द्वारका और ओखला जैसे इलाकों में प्रदूषण का स्तर 450 के पार पहुंच गया। गुरुग्राम, नोएडा और फरीदाबाद में भी हवा की स्थिति “गंभीर” श्रेणी में रही।
विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने, वाहनों के धुएं और मौसम में नमी के कारण प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। हवा की गति बेहद धीमी होने से प्रदूषक कण वातावरण में फंसे हुए हैं। इससे दिल्ली-एनसीआर का वायु प्रदूषण स्तर सामान्य से कई गुना अधिक हो गया है।
दिल्ली सरकार ने बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए स्कूलों में छुट्टियाँ बढ़ाने और निर्माण कार्यों पर रोक जारी रखने का निर्णय लिया है। साथ ही, ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के तहत चरण-4 लागू कर दिया गया है, जिसमें ट्रक प्रवेश पर प्रतिबंध, डीजल गाड़ियों के संचालन पर रोक और औद्योगिक इकाइयों की निगरानी बढ़ाई गई है।
डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि इस स्तर का प्रदूषण फेफड़ों और हृदय संबंधी बीमारियों के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है। विशेषज्ञों ने लोगों से घरों में रहने, एन-95 मास्क पहनने और सुबह-शाम बाहर न निकलने की सलाह दी है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, यदि हवा की दिशा और गति में सुधार नहीं हुआ तो अगले दो दिनों में हालात और बिगड़ सकते हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण अब “मौसमी संकट” बन चुका है, जिसके लिए केवल अस्थायी नहीं बल्कि दीर्घकालिक नीतिगत कदम जरूरी हैं।