लोकसभा में G Ram G विधेयक के पारित होते ही सदन का माहौल अचानक गर्मा गया। जैसे ही सरकार ने विधेयक को बहुमत के साथ पारित घोषित किया, विपक्षी दलों ने तीखा विरोध शुरू कर दिया। हंगामे के बीच कई विपक्षी सांसदों ने विधेयक की प्रतियां फाड़ते हुए इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ बताया। सदन में शोर-शराबे के कारण कार्यवाही कुछ समय के लिए बाधित भी रही।
विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने इस विधेयक को बिना पर्याप्त चर्चा और व्यापक सहमति के जल्दबाजी में पारित कराया। उनका कहना है कि G Ram G विधेयक के कई प्रावधान जनहित के बजाय सत्तापक्ष के राजनीतिक एजेंडे को मजबूत करते हैं। विपक्षी नेताओं ने सदन में खड़े होकर मांग की कि इस बिल को स्थायी समिति के पास भेजा जाए और इसके हर पहलू पर विस्तार से विचार किया जाए।
हंगामे के दौरान विपक्षी सांसद नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए। कुछ सांसदों ने हाथों में बिल की कॉपी लहराते हुए इसे फाड़ दिया, जिसे वे अपनी असहमति का प्रतीक बता रहे थे। स्पीकर ने कई बार सदन में व्यवस्था बनाए रखने की अपील की, लेकिन शोर कम नहीं हुआ। अंततः कुछ समय के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
वहीं, सरकार की ओर से इस विधेयक का बचाव करते हुए कहा गया कि G Ram G बिल देशहित में लाया गया है और इसका उद्देश्य मौजूदा व्यवस्था में सुधार करना है। सत्तापक्ष के नेताओं का तर्क था कि विपक्ष केवल राजनीतिक कारणों से विरोध कर रहा है और जनता के मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि विधेयक पर सभी आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन किया गया है और पर्याप्त चर्चा के बाद ही इसे पारित किया गया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह टकराव केवल एक विधेयक तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे आगामी चुनावों की राजनीति भी जुड़ी हुई है। विपक्ष इस मुद्दे को सरकार की कार्यशैली और कथित तानाशाही रवैये से जोड़कर जनता के बीच ले जाना चाहता है, जबकि सरकार इसे सुधारात्मक कदम के रूप में पेश कर रही है।
सदन के बाहर भी इस विधेयक को लेकर बयानबाज़ी तेज रही। विपक्षी दलों ने प्रेस से बातचीत में इसे लोकतंत्र पर हमला बताया, जबकि सत्तापक्ष ने विपक्ष के व्यवहार को गैर-जिम्मेदाराना करार दिया। कुल मिलाकर, लोकसभा में G Ram G विधेयक के पास होते ही हुआ यह हंगामा आने वाले दिनों में राजनीतिक बहस को और तेज करने के संकेत देता है।