अमेरिका और वेनेजुएला के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंचता नजर आ रहा है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए तेल टैंकरों के आवागमन पर पूरी तरह नाकेबंदी का आदेश दिया है। इस कदम को वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रहार माना जा रहा है, क्योंकि देश की आय का सबसे बड़ा स्रोत कच्चा तेल और उससे जुड़ा निर्यात है। ट्रंप ने यह भी चेतावनी दी है कि जरूरत पड़ने पर अमेरिका क्षेत्र में अपनी सैन्य घेरेबंदी और मजबूत कर सकता है।
ट्रंप के इस फैसले के तहत वेनेजुएला से तेल लाने-ले जाने वाले टैंकरों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी और अमेरिकी प्रभाव वाले समुद्री मार्गों पर उनकी आवाजाही को रोका जाएगा। प्रशासन का तर्क है कि वेनेजुएला की मौजूदा सरकार अवैध गतिविधियों और लोकतांत्रिक मानकों के उल्लंघन में लिप्त है, और इसी दबाव रणनीति के तहत यह सख्त कदम उठाया गया है। माना जा रहा है कि इस नाकेबंदी से वेनेजुएला की पहले से कमजोर अर्थव्यवस्था पर और गहरा असर पड़ेगा।
अपने बयान में ट्रंप ने साफ कहा कि अमेरिका अपने राष्ट्रीय हितों और क्षेत्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने संकेत दिए कि यदि वेनेजुएला ने अमेरिकी चेतावनियों को नजरअंदाज किया, तो कैरेबियाई क्षेत्र में अमेरिकी नौसेना की मौजूदगी बढ़ाई जा सकती है। इस बयान के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल तेज हो गई है और कई देश हालात पर करीबी नजर बनाए हुए हैं।
वेनेजुएला सरकार ने इस कार्रवाई को आर्थिक युद्ध करार देते हुए अमेरिका पर संप्रभुता के उल्लंघन का आरोप लगाया है। सरकारी प्रवक्ताओं का कहना है कि इस तरह की नाकेबंदी आम नागरिकों की मुश्किलें बढ़ाएगी और मानवीय संकट को और गहरा करेगी। वेनेजुएला पहले ही आर्थिक प्रतिबंधों, महंगाई और आवश्यक वस्तुओं की कमी से जूझ रहा है, ऐसे में तेल आपूर्ति बाधित होने से हालात और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस कदम का असर केवल वेनेजुएला तक सीमित नहीं रहेगा। वैश्विक तेल बाजार पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है, खासकर उन देशों पर जो वेनेजुएला से कच्चा तेल आयात करते हैं। कीमतों में उतार-चढ़ाव और आपूर्ति श्रृंखला में बाधा की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
कूटनीतिक हलकों में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या यह कार्रवाई क्षेत्रीय तनाव को और भड़काएगी। कई विश्लेषकों का मानना है कि प्रतिबंध और सैन्य दबाव समस्या का स्थायी समाधान नहीं हैं, बल्कि संवाद और बहुपक्षीय प्रयासों से ही स्थिति को संभाला जा सकता है। फिलहाल, ट्रंप की इस सख्त चेतावनी ने लैटिन अमेरिका की राजनीति और वैश्विक भू-राजनीति में नई बेचैनी पैदा कर दी है।