दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सख्ती दिखाते हुए सरकार ने आज से ‘नो पीयूसी, नो फ्यूल’ नियम को प्रभावी रूप से लागू कर दिया है। इस फैसले के तहत जिन वाहनों के पास वैध पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUC) प्रमाणपत्र नहीं होगा, उन्हें पेट्रोल या डीज़ल नहीं दिया जाएगा। नियम का उद्देश्य प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर लगाम कसना और राजधानी की बिगड़ती हवा की गुणवत्ता में सुधार लाना है।
इस व्यवस्था को जमीन पर लागू करने के लिए दिल्ली पुलिस और परिवहन विभाग ने व्यापक इंतज़ाम किए हैं। राजधानी के विभिन्न पेट्रोल पंपों और प्रमुख चौराहों पर करीब 580 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। ये अधिकारी वाहनों की जांच करेंगे और बिना वैध पीयूसी वाले वाहनों को ईंधन भरवाने से रोकेंगे। इसके साथ ही नियम तोड़ने वालों पर जुर्माने और कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान किया गया है।
अधिकारियों के अनुसार, यह कदम ग्रैप (GRAP) के स्टेज-4 के तहत उठाया गया है, जो प्रदूषण के गंभीर स्तर पर लागू किया जाता है। हाल के दिनों में दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ है, जिससे बच्चों, बुजुर्गों और सांस के मरीजों की सेहत पर गंभीर असर पड़ रहा है। ऐसे में सरकार ने सख्त निर्णय लेते हुए प्रदूषण नियंत्रण नियमों को और कठोर बनाया है।
हालांकि, इस फैसले को लेकर वाहन चालकों के बीच मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कई लोग इसे प्रदूषण नियंत्रण के लिए जरूरी कदम बता रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि अचानक नियम लागू होने से उन्हें असुविधा हो सकती है। परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया है कि पीयूसी बनवाने की प्रक्रिया सरल है और वाहन मालिक समय रहते प्रमाणपत्र अपडेट कराकर किसी भी परेशानी से बच सकते हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यदि नियम का सख्ती से पालन कराया गया, तो इससे प्रदूषण फैलाने वाले पुराने और खराब मेंटेनेंस वाले वाहनों की संख्या कम होगी। साथ ही यह लोगों को अपने वाहनों की नियमित जांच के लिए भी प्रेरित करेगा।
सरकार ने आम जनता से अपील की है कि वे नियमों का पालन करें, वैध पीयूसी प्रमाणपत्र साथ रखें और प्रदूषण कम करने में प्रशासन का सहयोग करें। आने वाले दिनों में इस अभियान को और तेज किए जाने की संभावना जताई जा रही है।