दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की निगरानी को लेकर संसद में गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सांसदों ने सरकार से पूछा है कि जब प्रदूषण नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीक और निगरानी तंत्र मौजूद हैं, तो फिर ज़मीनी हालात और आधिकारिक आंकड़ों के बीच इतना बड़ा अंतर क्यों दिखाई देता है। चर्चा के दौरान यह मुद्दा खास तौर पर उभरा कि कई ग्रीन ज़ोन क्षेत्रों में तो वायु गुणवत्ता मॉनिटर लगे हुए हैं, लेकिन अत्यधिक प्रदूषित इलाकों में ऐसे उपकरण या तो नदारद हैं या फिर लंबे समय से निष्क्रिय पड़े हैं।
सांसदों ने चिंता जताई कि जिन इलाकों में औद्योगिक गतिविधियां, भारी ट्रैफिक और निर्माण कार्य अधिक हैं, वहां प्रदूषण मापने के लिए पर्याप्त मॉनिटरिंग स्टेशन नहीं लगाए गए। इसके कारण वास्तविक प्रदूषण स्तर सामने नहीं आ पाता और नीतिगत फैसले अधूरी जानकारी के आधार पर लिए जाते हैं। सदन में यह भी कहा गया कि प्रदूषण नियंत्रण की पूरी रणनीति इन आंकड़ों पर टिकी होती है, ऐसे में निगरानी व्यवस्था की खामियां सीधे तौर पर जनस्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।
सरकारी पक्ष ने जवाब में बताया कि दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क को धीरे-धीरे मजबूत किया जा रहा है और नए मॉनिटरिंग स्टेशन लगाने की प्रक्रिया जारी है। हालांकि, सांसदों ने इस तर्क को अपर्याप्त बताते हुए पूछा कि वर्षों से प्रदूषण की गंभीर समस्या झेल रहे इलाकों को अब तक प्राथमिकता क्यों नहीं दी गई। कुछ सदस्यों ने यह भी आरोप लगाया कि मॉनिटरिंग स्टेशन का चयन वैज्ञानिक आधार के बजाय प्रशासनिक सुविधा के अनुसार किया गया है।
पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यदि मॉनिटरिंग सिस्टम असंतुलित होगा, तो प्रदूषण की सही तस्वीर सामने नहीं आ सकेगी। कई बार ग्रीन ज़ोन में दर्ज किए गए बेहतर आंकड़े पूरे शहर की औसत वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर देते हैं, जबकि वास्तविकता में कई घनी आबादी वाले इलाकों में हालात कहीं ज्यादा खराब होते हैं। इससे न केवल नीति निर्माण प्रभावित होता है, बल्कि आम नागरिकों को भी गुमराह करने की स्थिति बनती है।
संसद में उठे सवालों के बाद यह मांग तेज हो गई है कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण निगरानी तंत्र की स्वतंत्र ऑडिट कराई जाए और सभी अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में कार्यशील मॉनिटरिंग स्टेशन लगाए जाएं। विशेषज्ञों का कहना है कि पारदर्शी और संतुलित निगरानी व्यवस्था ही प्रदूषण से निपटने की दिशा में प्रभावी कदम साबित हो सकती है।