दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण और बच्चों के स्वास्थ्य पर उसके असर को देखते हुए सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। राजधानी के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों विद्यार्थियों को स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 10,000 कक्षाओं में एयर प्यूरीफायर लगाए जाने की योजना बनाई गई है। यह निर्णय खास तौर पर उन इलाकों को ध्यान में रखकर लिया गया है, जहां वायु गुणवत्ता लंबे समय से चिंताजनक बनी रहती है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, इस पहल के तहत दिल्ली के लगभग 38 हजार सरकारी स्कूलों और उनसे जुड़े शैक्षणिक परिसरों का चयन किया गया है। पहले चरण में उन स्कूलों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो प्रदूषण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित हैं या जहां विद्यार्थियों की संख्या अधिक है। सरकार का मानना है कि कक्षाओं के भीतर हवा की गुणवत्ता बेहतर होने से बच्चों की उपस्थिति, एकाग्रता और समग्र स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
एयर प्यूरीफायर लगाने की यह योजना केवल अस्थायी समाधान नहीं मानी जा रही, बल्कि इसे दीर्घकालिक स्वास्थ्य निवेश के रूप में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषित हवा बच्चों के फेफड़ों के विकास, प्रतिरक्षा प्रणाली और सीखने की क्षमता पर नकारात्मक असर डालती है। ऐसे में स्कूलों के भीतर स्वच्छ हवा उपलब्ध कराना बेहद जरूरी हो गया है, खासकर सर्दियों के मौसम में जब स्मॉग की समस्या गंभीर रूप ले लेती है।
दिल्ली सरकार का दावा है कि चयनित एयर प्यूरीफायर आधुनिक तकनीक से लैस होंगे और कक्षाओं के आकार के अनुसार उनकी क्षमता तय की जाएगी। साथ ही इनके नियमित रखरखाव और निगरानी के लिए भी अलग व्यवस्था की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उपकरण लगातार प्रभावी ढंग से काम करते रहें। शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग मिलकर इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेंगे।
हालांकि, इस फैसले पर कुछ सवाल भी उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का एक वर्ग मानता है कि एयर प्यूरीफायर राहत जरूर देंगे, लेकिन स्थायी समाधान तभी संभव है जब शहर स्तर पर प्रदूषण को नियंत्रित करने के ठोस कदम उठाए जाएं। इसके बावजूद, बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की दिशा में यह पहल एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।
कुल मिलाकर, दिल्ली के सरकारी स्कूलों में एयर प्यूरीफायर लगाने की योजना न केवल छात्रों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने की कोशिश है, बल्कि यह यह भी दर्शाती है कि शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर नीतिगत स्तर पर गंभीरता बढ़ रही है। आने वाले समय में इस योजना के असर और इसके विस्तार पर सभी की नजरें टिकी रहेंगी।