भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां कोविड-19 महामारी ने एक बार फिर भारत में दस्तक दी है। मई 2025 के मध्य तक देश में कोरोना वायरस के मामलों में अचानक उछाल देखा गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय और विभिन्न राज्य सरकारें अलर्ट मोड पर आ चुकी हैं। हालांकि इस बार लक्षण अपेक्षाकृत हल्के हैं, लेकिन संक्रमण की दर तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञ इसे हल्के में लेने की बजाय सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। आइए समझते हैं कि यह नया संकट कितना गंभीर है और आम जनता को क्या सावधानी बरतनी चाहिए। आइये विस्तार से समझते हैं इस जे एन.1 वेरिएंट के बारे में। इस बार कोरोना वायरस का जो नया रूप सामने आया है, उसे जे एन.1 वेरिएंट कहा जा रहा है। यह ओमिक्रॉन परिवार का एक उपप्रकार है। इसकी पहचान सबसे पहले सिंगापुर और अमेरिका में हुई थी, और अब यह भारत में भी फैल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वेरिएंट बेहद संक्रामक है, लेकिन घातकता की पुष्टि अभी तक नहीं हुई है। इसके मुख्य लक्षणों की बात की जाये तो इसमें रोगी को हल्का बुखार, गले में खराश, सिर दर्द, थकावट, सूखी खांसी और नाक बहना आदि की शिकायतें हो सकती हैं। यह लक्षण सामान्य फ्लू जैसे ही हैं, लेकिन परीक्षण करने पर कोविड-19 की पुष्टि हो रही है। भारत सरकार द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार: 21 मई 2025 तक भारत में सक्रिय मामले: लगभग 257 पाये गये। इनमें केरल में सबसे अधिक मामले: 69 हैं। महाराष्ट्र में: 44. तमिलनाडु में: 34 और अन्य प्रभावित राज्य: कर्नाटक, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश देखे गये हैं। इनमें से अधिकांश मरीजों को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया है, बल्कि होम आइसोलेशन में ही इलाज चल रहा है। हालांकि, बुजुर्ग और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए खतरा बना हुआ है। यह सवाल सभी के मन में उठ रहा है कि जब गर्मी के मौसम में वायरल संक्रमण कम हो जाते हैं, तो इस बार कोविड-19 के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? विशेषज्ञ इन से इत्तेफाक नहीं रखते, उनके अनुसार इसके कारण हो सकते हैं। अधिकांश लोगों ने अंतिम टीका महीनों पहले लिया था। मास्क पहनना, सामाजिक दूरी आदि उपाय अब लगभग पूरी तरह बंद हो चुके हैं। जे एन.1 वेरिएंट में तेज़ी से फैलने की क्षमता है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि इसे गंभीरता से लें और बिलकुल भी नजरअंदाज न करें। एम्स, दिल्ली के वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने हाल ही में एक बयान में कहा, "फिलहाल घबराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन लोगों को सतर्क रहना चाहिए। बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।"अन्य डॉक्टरों ने सलाह दी है: हल्का बुखार और खांसी को नजरअंदाज न करें, तुरंत कोविड-19 परीक्षण कराएं, होम आइसोलेशन में रहें, डॉक्टर की सलाह पर ही दवा लें। स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश जारी किए हैं कि वे: सभी कोविड मामलों की जीनोमिक निगरानी करें, अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करें, आर टी पी सी आर परीक्षण की संख्या बढ़ाएं, लोगों को सतर्क करने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाएं। विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर निगरानी बढ़ा दी गई है, ताकि विदेश से आने वाले किसी संक्रमित व्यक्ति से संक्रमण न फैले। फिलहाल किसी भी राज्य सरकार ने लॉकडाउन, स्कूल बंदी या मॉल पर पाबंदी की घोषणा नहीं की है। लेकिन स्थिति की गंभीरता को देखते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि यदि संक्रमण तेज़ी से फैला, तो क्षेत्रीय स्तर पर पाबंदियां लगाई जा सकती हैं। कोविड-19 की पिछली लहरों में टीकाकरण ने बड़ी भूमिका निभाई थी। लेकिन इस बार चुनौती यह है कि अधिकतर लोगों को अंतिम खुराक लिए हुए 6 महीने या उससे अधिक समय हो चुका है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मांग है कि सरकार जल्द ही एक बूस्टर अभियान शुरू करे, खासकर 60 वर्ष से ऊपर के नागरिकों के लिए। डबल्यू एच ओ और भारत सरकार द्वारा सुझाए गए उपायों मेः- मास्क पहनना फिर से शुरू करें, खासकर भीड़भाड़ वाले स्थानों पर। हाथ धोने और सैनिटाइज़र का प्रयोग नियमित करें। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। खांसी-जुकाम होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। टीका लगवाएं, और यदि बूस्टर उपलब्ध हो तो तुरंत लें। सोशल मीडिया पर जे एन.1 वेरिएंट को लेकर कई भ्रामक जानकारियां फैलाई जा रही हैं। कुछ लोग इसे "डेडली स्ट्रेन" तो कुछ "चाइनीज लैब वेरिएंट" कह रहे हैं। विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि: यह वेरिएंट घातक नहीं है, लेकिन संक्रामक है, कोई प्रमाण नहीं है कि यह किसी नई प्रयोगशाला से आया है, इससे घबराने की बजाय सतर्कता जरूरी है। अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में जे एन.1 वेरिएंट पहले ही पहुंच चुका है। इन देशों ने जो कदम उठाए हैं, उनमें शामिल हैं: मास्क अनिवार्यता, टीकाकरण प्रमाणपत्रों की जांच, सीमित सामाजिक कार्यक्रम, निगरानी आधारित नियंत्रण, भारत को भी इन्हीं उपायों को अपने संदर्भ में लागू करने की जरूरत है। यदि संक्रमण तेज़ी से बढ़ता है, तो इसका प्रभाव देश की अर्थव्यवस्था, शिक्षा, और स्वास्थ्य तंत्र पर पड़ेगा। पिछली लहरों में स्कूल, कॉलेज बंद होने से शिक्षा पर गंभीर असर पड़ा था। इस बार सरकारें शिक्षण संस्थानों को ऑनलाइन विकल्प तैयार रखने की सलाह दे रही हैं। महामारी का सबसे अदृश्य पहलू है मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव। लॉकडाउन, नौकरी जाने का डर, सामाजिक अलगाव — ये सब लोगों को तनाव, अवसाद और चिंता की ओर ले जाते हैं। विशेषज्ञों ने चेताया है कि यदि फिर से संक्रमण बढ़ा, तो मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त करना आवश्यक होगा। अंत में हम कह सकते हैं कि हमें डरना नहीं, लेकिन सतर्क रहना आवश्यक है। इस बार सरकारें ज्यादा तैयार हैं, जनता को भी पहले का अनुभव है। स्वास्थ्य तंत्र को मजबूत किया गया है, टीकाकरण हुआ है, और जागरूकता बढ़ी है। इस बार वायरस की प्रकृति हल्की है, लेकिन इसके फैलाव को रोकने के लिए हर नागरिक की भागीदारी आवश्यक है।