भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां देश में कोरोना वायरस का खतरा एक बार फिर धीरे-धीरे सिर उठाता दिख रहा है। बीते दो दिनों में देश में दो लोगों की मौत हो चुकी है और 27 नए संक्रमित मरीज सामने आए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार अब देश में एक्टिव मरीजों की संख्या 363 हो गई है। राहत की बात यह है कि अधिकतर मरीजों में संक्रमण हल्का है और वे होम आइसोलेशन में ही ठीक हो रहे हैं, लेकिन बढ़ते मामलों ने केंद्र सरकार और स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट मोड पर ला दिया है। देश में हाल के दिनों में कोरोना से मौत के मामलों ने एक बार फिर आम जनमानस में चिंता बढ़ा दी है। पहली मौत महाराष्ट्र के ठाणे में हुई जहां 21 वर्षीय युवक की जान गई। वहीं, दूसरी मौत कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में 84 वर्षीय बुजुर्ग की हुई। दोनों ही मामलों में मरीजों को कोविड के साथ अन्य गंभीर बीमारियां भी थीं, लेकिन संक्रमण ने उनकी हालत को और जटिल बना दिया। शनिवार को कोरोना के कुल 23 नए केस दर्ज किए गए। इनमें महाराष्ट्र के ठाणे से सबसे ज्यादा 8 केस आए। इसके अलावा राजस्थान और कर्नाटक से 5-5, उत्तराखंड और हरियाणा से 3-3, मध्य प्रदेश के इंदौर से 2 और उत्तर प्रदेश के नोएडा से एक मामला दर्ज किया गया। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि देश के विभिन्न हिस्सों में संक्रमण की उपस्थिति बनी हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय की समीक्षा बैठक की बात करें तो देशभर में बढ़ते मामलों को देखते हुए शनिवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने एक अहम समीक्षा बैठक की। इसमें इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के अधिकारी शामिल हुए। इस बैठक में विशेष रूप से कोविड वैरिएंट्स की जीनोमिक निगरानी, हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर की तैयारी और जनजागरूकता अभियानों पर चर्चा हुई। आइये बात करते हैं नए वैरिएंट्स की मौजूदगी के बारे में। जे एन 1 वैरिएंट – भारत में सबसे आमः भारत में फिलहाल जे एन 1 वैरिएंट सबसे आम वैरिएंट के तौर पर पाया जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में आधे से अधिक सैंपल्स में जे एन 1 की पुष्टि हुई है। यह ओमिक्रॉन का एक सब-वैरिएंट है, जिसे अगस्त 2023 में पहली बार पहचाना गया था और दिसंबर 2023 में डबल्यू एच ओ ने इसे ‘वेरियेंट ऑफ इंटरस्ट घोषित किया।इसमें लगभग 30 म्यूटेशन्स पाए गए हैं।ये म्यूटेशन्स इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं।हालांकि, इसका प्रभाव डेल्टा जैसे पुराने वैरिएंट्स जितना घातक नहीं है। एन बी 1.8.1 और एल एफ .7 – नए नाम लेकिन बढ़ती उपस्थितिः भारत में एन बी.1.8.1 का एक और एल एफ.7 वैरिएंट के चार मामले सामने आए हैं। इन दोनों वैरिएंट्स की मौजूदगी चीन और एशिया के अन्य हिस्सों में भी पाई जा रही है। डबल्यू एच ओ ने इन वैरिएंट्स को वेरियेंट अंडर मोनिटरिंग के रूप में वर्गीकृत किया है, यानी इन्हें अभी खतरनाक नहीं माना गया है, लेकिन निगरानी आवश्यक है। एन बी.1.8.1 में पाए गए स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन – ए435S, वी445एच, टी478आई – इसे तेज़ी से फैलने में सक्षम बनाते हैं। कोविड के खिलाफ विकसित इम्यूनिटी इन म्यूटेशन्स पर कम असर दिखा रही है। गर हम राज्यों में कोरोना के एक्टिव केसों की बात करें तो गुजरात में 40 मामलों में से 33 एक्टिव हैं, इसी प्रकार दिल्ली में कुल सारे 23 मामले एक्टिव हैं, हरियाणा में भी कुल 5 एक्टिव मामले हैं। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में भी 4 एक्टिव मामले हैं। कर्नाटका में कुल 5 और महाराष्ट्र में 8 मामले हैं। गौरतलब है कि इनमें से कई मामलों में मरीजों को अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया है, बल्कि होम आइसोलेशन में निगरानी में रखा गया है। क्या जे एन 1 वैरिएंट लंबे समय तक लक्षण छोड़ सकता है, इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि जे एन 1 वैरिएंट से संक्रमित व्यक्ति को लंबे समय तक कोविड के लक्षण झेलने पड़ सकते हैं। यह वह स्थिति होती है जिसमें कोरोना के सामान्य लक्षण (जैसे – थकावट, सांस लेने में कठिनाई, गंध और स्वाद का जाना, आदि) ठीक होने के बाद भी हफ्तों या महीनों तक बने रहते हैं। इस स्थिति को लॉंग कोविड कहा जाता है और इसमें मरीज को बार-बार डॉक्टरी परामर्श और फॉलोअप की जरूरत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि अभी तक इन वैरिएंट्स से किसी बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट की आशंका नहीं है। हालांकि, तेजी से फैलने की क्षमता और इम्यून एस्केप म्यूटेशन्स के कारण इन पर नजर रखना जरूरी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसी राज्य में मामलों की संख्या बढ़ती है, तो वहां कोविड प्रोटोकॉल को फिर से सक्रिय किया जा सकता है। जैसे: मास्क पहनना, सोशल डिस्टेंसिंग. टेस्टिंग और कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग। आइये बात करते हैं। कोरोना से बचे के लिए क्या करें, क्या न करें। लक्षण दिखते ही टेस्ट करवाएं। बुजुर्ग और बीमार लोग मास्क जरूर पहनें। डॉक्टर की सलाह से ही दवाएं लें। दूसरी ओर यह सच है कि हल्के लक्षणों को नजरअंदाज न करें। बगैर टेस्ट रिपोर्ट के खुद से इलाज शुरू न करें। अफवाहों पर ध्यान न दें। सरकार फिलहाल प्राथमिकता वाले समूहों – जैसे स्वास्थ्यकर्मी, बुजुर्ग, और गंभीर रोगों से ग्रसित व्यक्तियों – के लिए बूस्टर डोज पर विचार कर रही है। हालांकि, पूरे देश में व्यापक टीकाकरण अभियान फिर से शुरू करने की योजना अभी नहीं है। लेकिन केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सतर्क रहने और कोविड वैक्सीन स्टॉक का जायजा लेने के निर्देश दिए हैं। अंत में कह सकते हैं कि खतरे की घंटी नहीं, लेकिन लापरवाही घातक हो सकती है देश में कोरोना के मामले अभी नियंत्रण में हैं, लेकिन हालिया मौतों और वैरिएंट्स की उपस्थिति यह संकेत देती है कि सावधानी और सतर्कता की जरूरत बरकरार है। समय रहते लक्षणों की पहचान, टेस्टिंग और आइसोलेशन से बड़ी लहर को टाला जा सकता है। विशेषज्ञों की राय है कि हमें कोरोना से अब स्थायी सतर्कता के साथ जीने की आदत डालनी होगी, ताकि भविष्य में कोई नई लहर हमारे स्वास्थ्य तंत्र को संकट में न डाले।