भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां यह सच है कि आईपीएल 2025 में अपनी ऐतिहासिक जीत के बाद रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (आर सी बी ) की टीम ने बेंगलुरु में जश्न का ऐलान किया था। लेकिन यह जश्न कुछ ही पलों में मातम में बदल गया। एम चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ में कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए। अब इस पूरे घटनाक्रम को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है: पुलिस ने इस आयोजन को स्थगित करने की सिफारिश की थी, लेकिन इसे नजरअंदाज करते हुए कार्यक्रम को तय समय पर ही किया गया। आइये समझते हैं आई पी एल की जीत के बाद आर सी बी के जोश और ढीली सुरक्षा व्यवस्था के बारे में। आर सी बी ने 3 जून को आईपीएल 2025 का पहला खिताब जीता। टीम के समर्थकों में जबरदस्त उत्साह था। जैसे ही सुबह खबर आई कि आर सी बी अपनी जीत का जश्न बेंगलुरु में मनाने जा रही है, फैंस की भीड़ उमड़ पड़ी। सड़कों पर रैला लग गया। पहले तो घोषणा हुई थी कि टीम विक्ट्री परेड निकालेगी, लेकिन पुलिस ने इस पर रोक लगा दी। लेकिन आयोजकों ने इसकी बजाय एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में ही एक सेलिब्रेशन कार्यक्रम तय कर दिया। यह भी सच है कि पुलिस ने पहले ही यह भांप लिया था कि इस से कोई भयंकर घटना घट सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु पुलिस पहले से ही इस संभावित खतरे से वाकिफ थी। उन्होंने आर सी बी प्रबंधन को कार्यक्रम रविवार तक टालने की सिफारिश की थी ताकि उत्साह का उबाल कुछ कम हो और व्यवस्था सुचारु रहे। पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमने आर सी बी और सरकार दोनों से अपील की थी कि कार्यक्रम तुरंत न किया जाए। उत्साहित भीड़ को नियंत्रित करना बेहद कठिन है, खासकर तब जब जीत ताजी हो और पूरा शहर सड़कों पर उमड़ आया हो।” अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या विदेशी खिलाड़ियों की वजह से जश्न में जल्दबाज़ी की गई। पुलिस की इस सलाह के बावजूद आर सी बी मैनेजमेंट ने कार्यक्रम को टालने से इनकार कर दिया। सूत्रों के अनुसार, फ्रैंचाइज़ी की दलील थी कि उनके विदेशी खिलाड़ी जल्द ही अपने देशों को लौटने वाले हैं, और यदि कार्यक्रम टाला गया तो वे उसमें शामिल नहीं हो पाएंगे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “आरसीबी ने स्पष्ट किया कि उनके पास सीमित समय है क्योंकि खिलाड़ियों को अपनी राष्ट्रीय टीमों में वापस लौटना है। ऐसे में उन्होंने कार्यक्रम को बुधवार, 4 जून को ही करने का फैसला लिया। लेकिन हम पहले ही थक चुके थे, सुरक्षा बलों को पूरे रात ड्यूटी देनी पड़ी। स्थिति बेहद तनावपूर्ण थी।” अब समझते हैं सरकार की भूमिका और प्रशासनिक दबाव के बारे में। इस बीच सवाल उठ रहे हैं कि जब पुलिस ने पहले ही चेतावनी दे दी थी, तो सरकार ने कार्यक्रम की अनुमति क्यों दी? रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक स्तर पर भी इस आयोजन को एक जन-आकर्षण के रूप में देखा गया, जिससे किसी भी निषेध के परिणामस्वरूप जनता में रोष और संभावित अराजकता की आशंका बन गई थी।
एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यदि सरकार आयोजन को रद्द कर देती, तो यह निर्णय खुद राजनीतिक रूप से विवादास्पद हो सकता था। ऐसे में हालात बिगड़ने की पूरी आशंका थी। इसलिए भारी भीड़ और जोखिम के बावजूद आयोजन को मंजूरी दी गई।” यह भी सच है कि घटना के दिन सुबह से ही स्टेडियम के बाहर हजारों की भीड़ जमा हो चुकी थी। स्थिति तब और बिगड़ गई जब स्टेडियम के द्वार समय पर नहीं खुले और लोग अंदर घुसने को बेताब हो गए। भीड़ नियंत्रण में प्रशासन की असफलता साफ दिखाई दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “मंगलवार रात से लेकर बुधवार सुबह तक, सड़कों पर पुलिसकर्मी तैनात थे। सभी अधिकारी थके हुए थे, लेकिन भीड़ की तीव्रता ऐसी थी कि किसी के पास विकल्प नहीं था। यह पूरी तरह पागलपन जैसा दृश्य था। इतने बड़े आयोजन के लिए पर्याप्त पूर्व-योजना नहीं बनाई गई थी।” गर हम चश्मदीदों की दर्दभरी दास्तां की बात करें तो हादसे में अपने परिवार को खो चुके लोगों की कहानियां दिल दहला देने वाली हैं। एक व्यक्ति ने बताया कि वह अपने बेटे के साथ स्टेडियम आया था, लेकिन भगदड़ में उसका बेटा उससे बिछड़ गया और बाद में अस्पताल में मृत पाया गया। कई चश्मदीदों ने आरोप लगाया कि प्रवेश द्वारों पर पुलिसकर्मी भी नहीं थे, और जब भगदड़ शुरू हुई, तब न कोई सुरक्षाकर्मी लोगों को संभाल पाया और न ही किसी प्रकार की चेतावनी दी गई। इस पूरे घटनाक्रम के बाद आर सी बी और सरकार दोनों ही सवालों के घेरे में आ चुके हैं। यह हादसा सिर्फ एक व्यवस्थागत विफलता नहीं, बल्कि पूर्व चेतावनियों के बावजूद लिया गया एक जल्दबाज़ निर्णय है। अब सवाल उठ रहे हैं: क्या आर सी बी को विदेशी खिलाड़ियों की उपस्थिति से अधिक लोगों की सुरक्षा की चिंता नहीं थी? क्या सरकार को भीड़ की भावनाओं से डरकर सुरक्षा की अनदेखी करनी चाहिए थी? क्या आयोजनों की अनुमति से पहले प्रशासनिक और सुरक्षा एजेंसियों की सलाह को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए? आर सी बी की ऐतिहासिक जीत का उत्सव अब एक राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया है, जिसमें खेल भावना, जनउत्साह और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन की आवश्यकता को रेखांकित किया जा रहा है। इस घटना से यह स्पष्ट है कि कोई भी सार्वजनिक आयोजन, विशेषकर जब वह भावनाओं से जुड़ा हो, सिर्फ टीम या सरकार के प्रचार का माध्यम नहीं हो सकता। ऐसे आयोजनों के लिए पूर्व तैयारी, पुलिस की सलाह और जनता की सुरक्षा को सर्वोपरि रखना अनिवार्य है। अंत में कह सकते हैं कि आर सी बी की जीत पर पूरा देश गर्व कर रहा था, लेकिन बेंगलुरु में हुआ हादसा कई परिवारों को जीवनभर का दर्द दे गया। यह एक चेतावनी है कि भीड़ प्रबंधन, समय पर निर्णय और उचित समन्वय के बिना कोई भी उत्सव त्रासदी में बदल सकता है। अब उम्मीद है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए सिर्फ जोश नहीं, बल्कि होश से काम लिया जाएगा।