भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
भारत ने रक्षा क्षेत्र में ऐसा अभूतपूर्व कदम उठाया, जिसने न केवल देश के सामरिक आत्मविश्वास को मजबूत किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी सैन्य ताकत का स्पष्ट संकेत दिया है। इस दिन भारत ने एक ही समय में तीन अत्याधुनिक मिसाइलों — अग्नि-1, पृथ्वी-2 और आकाश प्राइम — का सफल परीक्षण किया। ये परीक्षण विभिन्न दिशाओं और खतरों को जवाब देने की भारत की बहुस्तरीय क्षमता को दर्शाते हैं। अग्नि-1 मिसाइल: भारतीय सामरिक बल कमांड द्वारा ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से दागी गई अग्नि-1, 700 किमी तक मार करने वाली परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइल है। इसका उद्देश्य देश की स्ट्रैटेजिक डिटरेंस क्षमता को प्रदर्शित करना था। यह परीक्षण दर्शाता है कि भारत की न्यूनतम प्रतिकार नीति केवल कागज़ी दस्तावेज नहीं, बल्कि पूरी तरह से सशक्त और क्रियाशील है। पृथ्वी-2 मिसाइल: यह लिक्विड फ्यूल आधारित बैलिस्टिक मिसाइल 350 किमी तक के लक्ष्य को भेद सकती है। इसकी खासियत यह है कि यह पारंपरिक और परमाणु दोनों प्रकार के हथियार ले जाने में सक्षम है। इसका सफल परीक्षण यह दर्शाता है कि भारत की तकनीकी परिपक्वता अब ऐसे स्तर पर पहुंच चुकी है जहाँ जमीनी सुरक्षा मजबूत और जवाबी कार्रवाई तीव्र हो सकती है। आकाश प्राइम मिसाइल: राजस्थान के पोखरण में किया गया यह परीक्षण एक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का था। यह तेज रफ्तार हवाई लक्ष्यों को ट्रैक कर उन्हें सटीकता से खत्म करने में सक्षम है। इसकी तैनाती भारत के एयर डिफेंस को अत्याधुनिक बना देती है, खासकर ऐसे समय में जब ड्रोन और क्रूज़ मिसाइलों का उपयोग बढ़ रहा है। तीनों मिसाइलों के परीक्षणों का एक साथ होना केवल सैन्य अभ्यास नहीं है। यह बहुआयामी रक्षा रणनीति का प्रतीक है। भारत ने यह दिखाया है कि वह जल, थल और वायु — तीनों मोर्चों पर न केवल सजग है, बल्कि सक्रिय और आत्मनिर्भर भी। चीन और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश: भारत की पूर्व और पश्चिम सीमाओं पर बढ़ती गतिविधियों के बीच यह परीक्षण यह दर्शाता है कि भारत अपने क्षेत्रीय दुश्मनों को हल्के में लेने वाला नहीं है। अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक समुदाय को संकेत: ये परीक्षण केवल क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा तक सीमित नहीं हैं। भारत ने वैश्विक मंच पर यह साबित कर दिया है कि वह उभरती महाशक्तियों में से एक है, जिसकी सामरिक तैयारी विश्व स्तरीय है। ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भरता का प्रदर्शन: इन सभी मिसाइलों का विकास डी आर डी ओ द्वारा किया गया है, जो यह साबित करता है कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में विदेशी निर्भरता से मुक्त होकर अपने दम पर खड़ा है। अग्नि-1, पृथ्वी-2 और आकाश प्राइम — तीनों मिसाइलों के सफल परीक्षणों ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब न केवल रणनीतिक रूप से सक्षम है, बल्कि हर संभावित खतरे का सामना करने को तैयार भी है। यह दिन भविष्य की रक्षा योजनाओं की नींव भी है और एक सशक्त, आत्मनिर्भर और सजग भारत का संकेत भी।