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संपादकीय

Leave rail and road now, goods will be transported through rivers, it will become the engine of 5 trillion dollar economy: रेल-सड़क अब छोड़िए, नदियों से होगी माल की ढुलाई, 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का बनेगा इंजन

August 10, 2025 08:23 PM

 

भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़      

यह सच है कि भारत जैसे विशाल और भौगोलिक विविधता वाले देश में परिवहन का ढांचा अर्थव्यवस्था की गति तय करता है। सड़क और रेल परिवहन के साथ-साथ अब अंतर्देशीय जल परिवहन को माल ढुलाई का एक महत्वपूर्ण, कम लागत वाला और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प माना जा रहा है। दुनिया के कई विकसित देशों ने इसे अपनी लॉजिस्टिक्स रणनीति का अहम हिस्सा बना रखा है, जबकि भारत में इस क्षेत्र में विकास की संभावनाएं अभी काफी हद तक अनछुई हैं। सरकार की सागरमाला परियोजना, प्रधानमंत्री गति शक्ति योजना और राष्ट्रीय जलमार्ग विकास कार्यक्रम के माध्यम से आई डबल्यू टी के विस्तार पर जोर दिया जा रहा है। इन पहलों का उद्देश्य है — लागत प्रभावी परिवहन को बढ़ावा देना, लॉजिस्टिक्स दक्षता बढ़ाना, और सड़क-रेल नेटवर्क पर दबाव घटाना। यह कदम न केवल देश की सतत विकास रणनीति को मजबूती देगा, बल्कि 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में भी अहम योगदान कर सकता है। गर इसके फायदों की बात करें तो कम लागत और अधिक लाभ – जलमार्गों के जरिए माल परिवहन सड़क या रेल की तुलना में सस्ता पड़ता है। 1 लीटर ईंधन से जलमार्ग में लगभग 105 टन-किलोमीटर तक माल ढोया जा सकता है, जबकि रेल में यह 85 टन-किलोमीटर और सड़क में सिर्फ 24 टन-किलोमीटर तक सीमित है। आई डबल्यू टी  में कार्बन उत्सर्जन कम होता है, जिससे यह पर्यावरण के अनुकूल है। मौजूदा समय में जब जलवायु परिवर्तन वैश्विक चिंता का विषय है, तो आई डबल्यू टी एक ग्रीन ट्रांसपोर्ट मोड के रूप में उभर रहा है। भारत में अधिकांश माल परिवहन सड़क और रेल नेटवर्क पर निर्भर है, जिससे जाम, प्रदूषण और रखरखाव लागत बढ़ती है। जलमार्गों के उपयोग से इन समस्याओं में कमी लाई जा सकती है। नदी किनारे बसे कस्बे और गांव आई डबल्यू टी के माध्यम से सीधे बाजारों से जुड़ सकते हैं, जिससे स्थानीय व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलता है। मौजूदा स्थिति में भारत के पास लगभग 14,500 किलोमीटर लंबा नौगम्य जलमार्ग नेटवर्क है, जिसमें नदियां, नहरें, बैकवाटर्स और मुहाने शामिल हैं। हालांकि, इस विशाल नेटवर्क का इस्तेमाल अभी कुल माल परिवहन का 2% से भी कम है। सरकार ने राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के तहत 111 राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किए हैं, जिनमें राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (एन डबल्यू -1) — गंगा नदी पर, राष्ट्रीय जलमार्ग-2 (एन डबल्यू -2) — ब्रह्मपुत्र नदी पर, और राष्ट्रीय जलमार्ग-3 (एन डबल्यू -3) — केरल के बैकवाटर्स पर सबसे प्रमुख हैं। गंगा पर हल्दिया से वाराणसी तक मल्टीमॉडल टर्मिनल, ब्रह्मपुत्र पर कार्गो संचालन, और कोच्चि में आई डबल्यू टी आधारित लॉजिस्टिक्स हब जैसे प्रोजेक्ट इस दिशा में ठोस कदम हैं। सागरमाला परियोजना का मुख्य उद्देश्य बंदरगाह-केंद्रित विकास और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है। इसके तहत नदी-समुद्र एकीकृत परिवहन प्रणाली को मजबूत किया जा रहा है। प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान आई डबल्यू टी  को सड़क, रेल, वायु और समुद्री नेटवर्क के साथ जोड़ने का विजन पेश करता है। इससे माल ढुलाई में समय और लागत दोनों घटेंगे, और लॉजिस्टिक्स सेक्टर में ‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’ बेहतर होगी। हालांकि आई डबल्यू टी की संभावनाएं अपार हैं, लेकिन इसके विस्तार में कई चुनौतियां हैं —पर्याप्त टर्मिनल, वेयरहाउस, और लोडिंग-अनलोडिंग सुविधाओं की कमी। कई नदियों में पूरे साल नौवहन के लिए पर्याप्त गहराई नहीं रहती। अलग-अलग राज्यों के बीच समन्वय की कमी और धीमी मंजूरी प्रक्रिया। आधुनिक जहाज, नेविगेशन सिस्टम और प्रशिक्षित मानव संसाधन का अभाव। इसका समाधान भी है। आधुनिक टर्मिनल, कोल्ड स्टोरेज, और वेयरहाउस का निर्माण जरूरी है। नदियों की गहराई बढ़ाने और नौवहन मार्ग साफ रखने पर जोर देना होगा। पी पी पी मॉडल के जरिए निवेश आकर्षित किया जा सकता है। जी पी एस,  ए आई एस और रियल-टाइम ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग बढ़ाना। आई डबल्यू टी को कृषि, खनन, और विनिर्माण सेक्टर के साथ जोड़ना। अंतर्राष्ट्रीय अनुभव बताता है कि जहां आई डबल्यू टी का हिस्सा 10–15% से अधिक है, वहां लॉजिस्टिक्स कॉस्ट जी डी पी के 8% से कम रहती है। भारत में यह लागत लगभग 13–14% है, जो निर्यात प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करती है। यदि आई डबल्यू टी  के हिस्से को 2% से बढ़ाकर 8–10% तक ले जाया जाए, तो न केवल माल परिवहन सस्ता होगा, बल्कि जी डी पी  में भी 1–1.5% तक की बढ़ोतरी संभव है। सागरमाला और गति शक्ति जैसी सरकारी पहलें इस क्षेत्र को नई रफ्तार देने में सक्षम हैं, बशर्ते कि बुनियादी ढांचे, नीतिगत सुधार और निजी निवेश के मोर्चे पर ठोस कदम उठाए जाएं। भारत अगर आई डबल्यू टी  की पूरी क्षमता का उपयोग कर ले, तो यह न केवल 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को गति देगा, बल्कि एक सतत और समावेशी विकास मॉडल की दिशा में भी बड़ा कदम होगा।

 

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