भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
जी हां यह सच है कि दुनिया भर में जनसंख्या संरचना तेजी से बदल रही है। लंबी आयु और घटती जन्म दर के कारण वृद्धजन आबादी में लगातार वृद्धि हो रही है। भारत भी इस परिवर्तन से अछूता नहीं है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2050 तक भारत में 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या 30 करोड़ से अधिक हो सकती है। यह बदलाव सिर्फ सामाजिक ढांचे में ही नहीं, बल्कि आर्थिक परिदृश्य में भी नई संभावनाओं को जन्म दे रहा है। इसी संदर्भ में सिल्वर इकॉनमी का महत्व बढ़ता जा रहा है, जो वरिष्ठ नागरिकों की जरूरतों और जीवनशैली को ध्यान में रखते हुए आर्थिक अवसर पैदा करने पर केंद्रित है। आइये समझते हैं कि आखिर सिल्वर इकॉनमी होती क्या है? सिल्वर इकॉनमी उस समूचे आर्थिक ढांचे को कहते हैं जिसमें ऐसे उत्पाद, सेवाएं और समाधान शामिल होते हैं जो वृद्धजनों के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए हों। इसमें स्वास्थ्य सेवाएं, आवास सुविधाएं, वित्तीय योजनाएं, देखभाल सेवाएं, यात्रा और मनोरंजन जैसी सेवाओं से लेकर तकनीकी समाधान तक सब आता है। विकसित देशों में यह क्षेत्र पहले से ही काफी बड़ा है, लेकिन भारत में इसकी संभावनाएं अपार हैं क्योंकि यहां वृद्ध आबादी का अनुपात तेजी से बढ़ रहा है। वर्तमान में भारत में लगभग 14 करोड़ लोग 60 वर्ष से अधिक आयु के हैं, जो कुल जनसंख्या का करीब 10% है। अगले 25 वर्षों में यह संख्या दोगुनी होने का अनुमान है। भारत में औसत जीवन प्रत्याशा 70 वर्ष से अधिक हो चुकी है।संयुक्त परिवारों के टूटने और शहरीकरण के कारण पारंपरिक देखभाल की व्यवस्था कमजोर हुई है।पेंशन, बीमा और चिकित्सा सेवाओं की मांग में तेजी से इजाफा हुआ है।इन बदलावों के चलते वृद्धजनों के लिए समर्पित सेवाओं और सुविधाओं की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। गर हम सिल्वर इकॉनमी के प्रमुख क्षेत्रों की बात करें तो वृद्धजनों को नियमित स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत अधिक होती है। इस कारण जेरियाट्रिक अस्पताल, होम हेल्थकेयर, टेलीमेडिसिन और पुनर्वास सेवाएं तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। हेल्थकेयर स्टार्टअप्स इस क्षेत्र में नवाचार कर रहे हैं, जैसे कि दूरस्थ क्षेत्रों में ऑनलाइन परामर्श और दवाओं की डिलीवरी। शहरी जीवनशैली और न्यूक्लियर फैमिली के बढ़ते चलन के कारण वरिष्ठ नागरिकों के लिए असिस्टेड लिविंग फैसिलिटीज, डे केयर सेंटर और ओल्ड एज होम्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। इन सेवाओं में सिर्फ रहने की सुविधा ही नहीं, बल्कि चिकित्सा देखभाल, मनोरंजन और सामाजिक जुड़ाव का वातावरण भी प्रदान किया जाता है। बुजुर्गों के लिए आर्थिक सुरक्षा बेहद जरूरी है। इस वजह से पेंशन योजनाएं, स्वास्थ्य बीमा, और निवेश विकल्पों का बाजार बढ़ रहा है। वित्तीय संस्थान वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष स्कीम्स तैयार कर रहे हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए धार्मिक यात्राओं, वेलनेस टूरिज्म और मेडिकल टूरिज्म का बाजार तेजी से विकसित हो रहा है। ट्रैवल कंपनियां स्वास्थ्य सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सीनियर-फ्रेंडली पैकेज तैयार कर रही हैं। तकनीक इस सेक्टर की सबसे बड़ी ताकत है। हेल्थ मॉनिटरिंग डिवाइस, इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम, स्मार्ट होम उपकरण और ए आई आधारित हेल्थ ऐप्स वृद्धजनों की जीवनशैली को अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक बना रहे हैं। इस में कोई दो राय नहीं है कि भारत में अवसरों की भरमार है। रोज़गार सृजन: हेल्थकेयर, पर्यटन और देखभाल सेवाओं में लाखों रोजगार उत्पन्न हो सकते हैं। स्टार्टअप और नवाचार: हेल्थटेक, फिनटेक और होम सर्विस सेक्टर में नए स्टार्टअप्स को बढ़ावा मिलेगा। निवेश का नया क्षेत्र: घरेलू और विदेशी निवेशक इस सेक्टर को बड़े अवसर के रूप में देख रहे हैं। महिला सशक्तिकरण: देखभाल सेवाओं और हेल्थकेयर सेक्टर में महिलाओं के लिए रोजगार के व्यापक अवसर हैं। इसकी कई चुनौतियां हैं तो समाधान भी है। सामाजिक सुरक्षा की कमी: सरकार को पेंशन योजनाओं का दायरा बढ़ाना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव: जेरियाट्रिक केयर और टेलीमेडिसिन को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाना जरूरी है। डिजिटल साक्षरता की कमी: वृद्ध नागरिकों को तकनीकी समाधानों का उपयोग सिखाने के लिए अभियान चलाना होगा। मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: अकेलेपन और अवसाद से निपटने के लिए काउंसलिंग सेवाओं और सामुदायिक गतिविधियों को बढ़ावा देना आवश्यक है। भारत सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जैसे—राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक नीति, वरिष्ठ नागरिक कल्याण कोष, प्रधानमंत्री वय वंदना योजना इसके अलावा, स्टार्टअप इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत इस सेक्टर में नवाचार को प्रोत्साहित किया जा रहा है। सिल्वर इकॉनमी केवल एक सामाजिक आवश्यकता नहीं, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा अवसर है। वृद्धजनों के लिए समर्पित उत्पाद और सेवाएं विकसित करके भारत न केवल इस वर्ग के जीवन को बेहतर बना सकता है, बल्कि रोजगार सृजन और निवेश आकर्षित कर आर्थिक विकास को नई गति दे सकता है।