भुपेंद्र शर्मा, मुख्य संपादक , सिटी दर्पण, चंडीगढ़
इस में कोई दो राय नहीं है कि भारत ने रक्षा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन –डी आर डी ओ ने हाल ही में इंटरसेप्टर एयर डिफेंस वेपन सिस्टम का सफल परीक्षण किया, जिसे प्रतीकात्मक रूप से ‘सुदर्शन चक्र’ नाम दिया गया है। यह केवल एक तकनीकी प्रयोग नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में उठाया गया निर्णायक कदम है। आने वाले समय में यह प्रणाली देश की हवाई सुरक्षा के लिए अभेद्य कवच साबित होगी। ओडिशा के तट पर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज में हुए इस परीक्षण ने साबित कर दिया कि भारत अब एयर डिफेंस के क्षेत्र में विश्वस्तरीय क्षमता हासिल कर चुका है। यह प्रणाली दुश्मन की ओर से आने वाली किसी भी हवाई चुनौती—चाहे वह ड्रोन हो, क्रूज़ मिसाइल या फाइटर जेट—को समय रहते निष्क्रिय करने में सक्षम है। इस उपलब्धि ने भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में खड़ा कर दिया है, जो इस तरह की हाई-टेक रक्षा प्रणालियां स्वदेशी रूप से विकसित करने में सक्षम हैं। मौजूदा वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए, जहां हवाई खतरों का स्वरूप लगातार बदल रहा है, यह प्रणाली भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से एक बड़ा कदम है। आइये समझते हैं कि आखिर सुदर्शन चक्र है क्या। ‘सुदर्शन चक्र’ डी आर डी ओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) द्वारा विकसित एक इंटरसेप्टर एयर डिफेंस वेपन सिस्टम का नाम है। इसका उद्देश्य भारत की हवाई सुरक्षा को मजबूत करना है।यह प्रणाली आने वाले समय में भारतीय रक्षा कवच का अहम हिस्सा होगी। इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह ड्रोन, क्रूज़ मिसाइल, फाइटर जेट और अन्य हवाई खतरों को बेहद कम समय में नष्ट कर सके। इसकी खासियत है कि इसमें मल्टी-लेयर सुरक्षा है यानि अलग-अलग ऊंचाई और गति से आने वाले लक्ष्यों को एक साथ इंटरसेप्ट करने की क्षमता। उन्नत रडार और ट्रैकिंग सिस्टम: खतरे की पहचान कर रियल-टाइम में प्रतिक्रिया देता है।नेटवर्क-सेंट्रिक डिजाइन: भारतीय सशस्त्र बलों के मौजूदा रक्षा ढांचे में एकीकृत किया जा सकता है। स्वदेशी तकनीक: पूरी तरह भारत में विकसित, आत्मनिर्भर भारत मिशन का हिस्सा। गौरतलब है कि हाल के वर्षों में भारत जिन सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, उनमें सीमा पार से ड्रोन घुसपैठ, मिसाइल खतरे और हाइब्रिड वॉरफेयर शामिल हैं। ऐसे में ‘सुदर्शन चक्र’ जैसे सिस्टम का विकास भारत की रक्षा नीति को नई मजबूती देता है। यह प्रणाली भारत के मौजूदा बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस नेटवर्क को पूरक करेगी और तीनों सेनाओं को एक सुरक्षित हवाई कवच प्रदान करेगी। इससे भारत की डिटरेंस क्षमता बढ़ेगी और किसी भी संभावित आक्रामकता का समय रहते जवाब दिया जा सकेगा। यह भी सच है कि आत्मनिर्भर की दिशा में भारत का इसे बड़ा कदम माना जायेगा। रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने हाल के वर्षों में कई नीतिगत कदम उठाए हैं। ‘सुदर्शन चक्र’ उसी रणनीति का परिणाम है। यह परियोजना न केवल डीआरडीओ की तकनीकी दक्षता को प्रदर्शित करती है, बल्कि निजी उद्योगों और स्टार्टअप्स की भागीदारी को भी प्रोत्साहन देती है। यह प्रणाली भारत की विदेशी रक्षा आयात पर निर्भरता को कम करेगी और देश को रक्षा निर्यात में भी सक्षम बनाएगी। वैश्विक स्तर पर एयर डिफेंस सिस्टम की मांग बढ़ रही है, ऐसे में भारत के लिए यह क्षेत्र आर्थिक और रणनीतिक दोनों दृष्टि से लाभकारी साबित हो सकता है। रूस, अमेरिका, चीन और इज़राइल जैसे देश पहले से ही उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम के विकास और तैनाती में अग्रणी हैं। भारत का ‘सुदर्शन चक्र’ इन देशों के समकक्ष तकनीक का प्रतीक है। यह उपलब्धि यह भी साबित करती है कि भारत न केवल अपने सुरक्षा हितों की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भी अपनी जगह बनाने की क्षमता रखता है। अब यह प्रणाली विभिन्न चरणों में और परीक्षणों से गुजरेगी ताकि इसे जल्द से जल्द ऑपरेशनल किया जा सके। आने वाले वर्षों में सरकार की योजना है कि इसे तीनों सेनाओं में शामिल किया जाए। डीआरडीओ का लक्ष्य इसे अधिक उन्नत बनाने और इसमें नई तकनीकों का समावेश करने का है, ताकि यह भविष्य के खतरों का भी मुकाबला कर सके। अंत में हम कह सकते हैं कि ‘सुदर्शन चक्र’ का सफल परीक्षण भारत के लिए केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि एक रणनीतिक मील का पत्थर है। यह प्रणाली आने वाले समय में देश की हवाई सुरक्षा को अभेद्य बनाएगी और भारत को रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी। भारत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वह अब रक्षा प्रौद्योगिकी का केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक वैश्विक उत्पादक शक्ति है। यह उपलब्धि भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को मजबूती प्रदान करेगी और आने वाले वर्षों में इसे वैश्विक मंच पर एक सशक्त राष्ट्र के रूप में स्थापित करेगी।