पंजाब में लगातार बारिश और पहाड़ी राज्यों से छोड़े गए पानी ने बाढ़ की स्थिति को भयावह बना दिया है। सतलुज, ब्यास और रावी नदियां उफान पर हैं, जिससे राज्य के कई जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। ताजा आंकड़ों के अनुसार सैकड़ों गांव पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं, जबकि हजारों लोग अपने घरों से बेघर होकर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं।
हालात की गंभीरता को देखते हुए सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) और राज्य आपदा मोचन बल (SDRF) को मोर्चे पर उतारा गया है। बचावकर्मी नावों और मोटरबोट के जरिए लोगों को सुरक्षित निकाल रहे हैं। अब तक हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। कई इलाकों में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां भोजन, दवा और अन्य आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
बाढ़ के कारण कई सड़कें टूट गईं और बिजली आपूर्ति भी बाधित हो गई है। किसानों की फसलें पानी में डूब जाने से भारी नुकसान की आशंका है, जिससे राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर पड़ सकता है। जलभराव के चलते बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है, इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल टीमों को अलर्ट कर दिया है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हालात की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को राहत और बचाव कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों को हरसंभव मदद पहुंचाई जाएगी। केंद्र सरकार से भी अतिरिक्त मदद मांगी गई है।
विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले 48 घंटे पंजाब के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे, क्योंकि बारिश का सिलसिला जारी रहने की संभावना है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों से बचें और आधिकारिक चेतावनियों का पालन करें।